नीदरलैंड की साहित्यकार प्रो.पुष्पिता अवस्थी का सम्मान एवं काव्यपाठ

कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद के तत्वावधान में सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने वाली काव्य लहरी-2 की काव्य गोष्ठी इस बार संस्कृत ,हिंदी और मैथिली भाषा पर केन्द्रित थी  जिसकी अध्यक्षता कलकत्ता विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के आचार्य डॉ रवींद्रनाथ भट्टाचार्य ने की।काव्य-लहरी का मुख्य उद्देश्य ही है विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच सौहार्द-स्थापन ।
अभिलाषा तिवारी ने देवी का लोकगीत ‘ पचरा ‘ प्रस्तुत कर काव्य संध्या की शुरुआत की। प्रो राजश्री शुक्ला ने अतिथियों का परिचय एवं सम्मान कराते हुए स्वागत भाषण किया ।उन्होंने कहा कि फाल्गुन मास वसंत के साथ साथ नई फसलों के आगमन और उमंग के स्वागत का समय है,जिसका आध्यात्मिक और लौकिक रूप भी है । विशिष्ट वक्ता डॉ ऋषिकेश राय ने संस्कृत और मैथिली के काव्य इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत किसी एक वर्ग की भाषा नहीं है, यह प्रतिरोध , लोकधर्म की भाषा है । महाकाव्य सबसे ज्यादा संस्कृत में ही लिखे जा रहे हैं । नीदरलैंड से आईं हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की निदेशक प्रो. पुष्पिता अवस्थी को भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्षा डॉ कुसुम खेमानी ने शाल, अभिनन्दन पत्र एवं संस्था का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे आचार्य डॉ. रवींद्र नाथ भट्टाचार्य एवं अन्य गणमान्य अतिथियों का सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद टांटिया, मंत्री नंदलाल शाह एवं विमला पोद्दार सहित सरला टांटिया और सरोजनी शाह ने किया।
प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने अपनी हिंदी कविता पृथ्वी ,मुखौटा ,मधुबन के पाठ से श्रोताओं को मुग्ध किया । भाष्करानंद झा ‘भाष्कर’ ने मैथिली भाषा में ग़ज़ल प्रस्तुत करके खूब वाह-वाही बटोरी । डॉ रवींद्रनाथ भट्टाचार्य ने अपना अध्यक्षीय भाषण आतंकवाद विषय पर संस्कृत में दिया तथा संस्कृत में काव्यपाठ किया । धन्यवाद ज्ञापन भारतीय भाषा परिषद के मंत्री नन्दलाल शाह ने दिया । काव्य-गोष्ठी का संचालन काव्य-लहरी के संयोजक हास्य-व्यंग्य कवि गिरिधर राय ने किया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को एक मिनट का मौनव्रत पालन कर श्रद्धांजलि दी गई।कार्यक्रम में डॉ. रामप्रवेश रजक, डॉ. विवेक सिंह, शकुन त्रिवेदी इत्यादि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।

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