नहीं रहे वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह

पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग के नायक मार्शल ऑफ एयर चीफ अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। दिल का दौरा पड़ने से शनिवार की सुबह भारतीय वायुसेना के इस जांबाज सेनानायक को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शाम साढ़े सात बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एक मात्र अफसर थे जिन्हें फील्ड मार्शल के बराबर ओहदा दिया गया था। उन्हें फाइव स्टार रैंक दिया गया था।
2016 में पश्चिम बंगाल के पानागढ़ एयरबेस का नाम अर्जन सिंह एयरबेस कर दिया गया था। उनके 97वें जन्मदिन पर पानागढ़ को उनका नाम दिया गया। वह पहले जीवित सेनानायक थे, जिनके नाम पर किसी एयरबेस का नाम रखा गया है।
भारतीय सेना के लिए मिसाल माने जाने वाले सिंह ने 1965 में सबसे युवा वायुसेना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उस समय उनकी आयु महज 44 वर्ष थी।
अर्जन सिंह के अंदर फाइटर पायलट का जज्बा आखिरी तक बरकरार रहा। 1969 में रिटायरमेंट तक वह सेना के 60 तरह के विमान उड़ा चुके थे।
इससे पहले सुबह आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अर्जन सिंह के भर्ती होने की खबर सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने अस्पताल पहुंच कर उनका हालचाल जाना था।

पीएम मोदी ने मार्शल अर्जन सिंह के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि मार्शल ऑफ एयरफोर्स अर्जन सिंह के दुखद निधन से पूरा भारत दुखी है। हम उनके सर्वश्रेष्ठ कार्यों को हमेशा याद रखेंगे।

अर्जन सिंह ने वायुसेना की क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान रखा, इससे हमारी रक्षा तैयारियों को बड़ी ताकत मिली। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रतिष्ठित हवाई योद्धा एवं शानदार शख्स के निधन से दुखी लोगों के साथ हैं। अर्जन सिंह… आपकी आत्मा को शांति मिले…। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी वायुसेना के महान योद्धा अर्जन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हवाई योद्धा मार्शल अर्जन सिंह के निधन  का बेहद दुख है। राष्ट्रपति कोविंद ने उनके परिवार और वायुसेना के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामण ने वायुसेना के एयर मार्शल अर्जन सिंह के निधन को बड़ी क्षति बताया। सीतारमण ने कहा अर्जन सिंह ने अनुकरणीय जीवन का नेतृत्व किया। उन्होंने कई युद्ध लड़े।

 

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