असिस्टेंट बनकर टाटा स्टील आए थे एमडी बनकर निकले
नयी दिल्ली । टाटा समूह से जुड़ी दो दिग्गज शख्सियतों को कौन नहीं जानता। एक थे जमशेदजी टाटा और दूसरे जमशेद जे ईरानी । जमशेदजी टाटा भारत के जाने-माने औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। वहीं, जमशेद जे ईरानी टाटा स्टील के पूर्व एमडी रहे। ईरानी अब हमारे बीच नहीं हैं। जमशेद जे ईरानी ने गत 31 अक्टूबर जमशेदपुर में आखिरी सांस ली। ईरानी के जाने से टाटा स्टील को बड़ा नुकसान हुआ है। ईरानी ने टाटा स्टील को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। पद्म भूषण डॉ जमशेद जे ईरानी 4 दशकों से भी अधिक समय से टाटा स्टील से जुड़े रहे। वे जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से रिटायर हुए थे। स्टील सेक्टर में व्यापक योगदान के लिए इन्हें भारत का स्टील मैन भी कहा जाता है।
विदेश जाकर की मेटल की पढ़ाई
जमशेद जे ईरानी नागपुर में 2 जून 1936 को जीजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर जन्मे थे। डॉ ईरानी ने साल 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से साइंस में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने साल 1958 में नागपुर यूनिवर्सिटी से भूविज्ञान से मास्टर्स किया। इसके बाद वे यूके में शेफील्ड यूनिवर्सिटी गए। यहां से उन्होंने साल 1960 में धातुकर्म से मास्टर किया। इसके बाद उन्होंने धातुकर्म से ही साल 1963 में पीएचडी की।
असिस्टेंट से एमडी तक का सफर
ईरानी ने साल 1963 में शेफील्ड में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। लेकिन वे हमेशा देश के विकास में योगदान देना चाहते थे। वे भारत वापस लौट आए। यहां आकर उन्होंने साल 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (वर्तमान में टाटा स्टील) जॉइन की। उन्होंने रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर इन-चार्ज के सहायक के रूप में जॉइन किया था। इसके बाद वे जनरल सुपरिटेंडेंट, जनरल मैनेजर, प्रेसिडेंट, जॉइंट एमडी और एमडी बने। टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित टाटा समूह की कई कंपनियों के निदेशक के रूप में भी काम किया।
स्टील उद्योग में योगदान के लिए मिला पद्म भूषण
साल 2004 में भारत सरकार ने भारत के नए कंपनी अधिनियम के गठन के लिए विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ ईरानी को नियुक्त किया। उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। धातु विज्ञान के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 2008 में भारत सरकार द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में भारत के आर्थिक उदारीकरण के दौरान टाटा स्टील का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में इस्पात उद्योग के विकास में काफी अधिक योगदान दिया है। इसलिए उन्हें स्टील मैन ऑफ इंडिया कहा जाता है। ईरानी ने टाटा स्टील को दुनिया में सबसे कम लागत वाला स्टील उत्पादक बनने में सक्षम बनाया, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्द्धा कर सके।
खेलते थे क्रिकेट
डॉ ईरानी भारत में क्वालिटी मूवमेंट के शुरुआती नेता थे। ईरानी एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। उन्होंने अपने आखिरी समय तक क्रिकेट खेला और देखा। उन्हें स्टांप और कॉइन कलेक्शन का भी जुनून था। जमशेदपुर शहर के लिए उनके दिल में एक विशेष प्यार था। उन्होंने यहां कई महत्वपूर्ण विकास कार्य कराए, जिसका फायदा जमशेदपुर के लोगों को मिल रहा है। वे परिवार में अपने पीछे पत्नी डेजी ईरानी, एक पुत्र जुबिन, नीलोफर और तना को छोड़ गये हैं ।