उदारीकरण से पहले के दौर में भारत में ‘हमारा बजाज’ धुन एक वक्त मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की महत्वाकांक्षा का प्रतीक थी और उनके बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करती थी। यह धुन थी बजाज ऑटो की और इसके पीछे बेहद बड़े कद वाले बेखौफ उद्योगपति थे राहुल बजाज। स्पष्ट और खुलकर बोलने वाले राहुल बजाज ने परमिट राज के दौरान दो पहिया और तीन पहिया वाहनों का ब्रांड स्थापित करके अपना दम दिखाया था। बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का गत 12 फरवरी शनिवार को पुणे में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। उन्होंने बजाज ऑटो में गैर-कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन पद से पिछले वर्ष 30 अप्रैल को इस्तीफा दिया था हालांकि वह चेयरमैन एमेरिटस बने रहे।
साफगोई थी उनकी खासियत
बिना लाग लपेट के अपनी बात रखने वाले बजाज कूटनीति में पारंगत अन्य उद्योगपतियों से अलग थे, साफगोई उनकी खासियत थी भले इसकी वजह से सरकार के साथ ठन जाए, चाहे अपने खुद के बेटे के साथ आमना-सामना हो जाए। नवंबर 2019 की बात है, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, समेत मंत्रियों के एक समूह पर चुभने वाले सवाल दाग दिए थे। राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता में हुआ था। उनके दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी।
हार्वर्ड से किया था एमबीए
बजाज ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातक और अमेरिका के हार्वर्ड बिजनस स्कूल से एमबीए किया। अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में उप महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया और 1968 में 30 साल की उम्र में वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने।
ऑटोमोबाइल, जनरल बीमा तथा जीवन बीमा, निवेश एवं उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व संभालकर उन्होंने इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया। उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया।
चेतक स्कूटर बना आकांक्षा का प्रतीक
2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन इकाईयों-बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा। उनके बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज ऑटो और फाइनेंस कंपनियों को संभाल रहे हैं। कंपनी का बजाज चेतक स्कूटर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की आकांक्षा का प्रतीक बना।
फोर्ब्स ने 2016 में दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में उन्हें शामिल किया था। उस वक्त उन्हें लिस्ट में 722वीं रैंक मिली थी और उनकी नेट वर्थ 2.4 अरब डॉलर थी। अगर फोर्ब्स की रीयल टाइम लिस्ट के हिसाब से देखें तो 12 फरवरी 2022 को राहुल बजाज की नेट वर्थ 8.2 अरब डॉलर यानी करीब 62000 करोड़ रुपये है। राहुल बजाज को दोपहिया वाहन की दुनिया में एक क्रांति लाने के लिए जाना जाता है।
राहुल बजाज ने 1965 से लेकर 2005 तक यानी 40 साल तक बजाज ऑटो के चैयरमैन का पद संभाला और कंपनी को बुलंदियों तक पहुंचाया। उनके बाद 2005 में उनके बेटे राजीव बजाज ने कंपनी की बागडोर अपने हाथ ले ली। 2006 में वह राज्य सभा में सांसद के तौर पर चुने गए और 2010 तक देश की सेवा राजनीति में रहते हुए की। राजनीति की दुनिया में रहते हुए भी वह हर बात पर अपनी बेबाक राय देते रहे। 2005 के बाद भी वह नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन की भूमिका में रहे और 2021 में उन्होंने यह पद छोड़ा।
राहुल बजाज की तरफ से समाज को दिए गए योगदान के चलते उन्हें 2001 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। स्कूटर की दुनिया में क्रांति से उन्होंने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया था। राहुल बजाज कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के दो बार (1979-80 और 1999-2000) प्रेसिडेंट भी चुने गए। इस दौरान उन्हें 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था। उन्हें ‘नाइट ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ नाम के फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
राहुल बजाज के 2 बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज हैं, जो कंपनी के मैनेजमेंट में हैं। वहीं उनकी बेटी सुनैना बजाज की शादी मनीष केजरीवाल से हुई है, जो Temasek India के प्रमुख रह चुके हैं। 10 जून 1938 को जन्मे राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था।
अगर आज आप कोई गाड़ी खरीदना चाहें और वह बहुत लोकप्रिय हो तो कुछ दिन, हफ्ते या अधिकतम कुछ महीनों के वेटिंग पीरियड के बाद गाड़ी आपको मिल जाएगी, लेकिन उस दौर में ऐसा नहीं था। एक वक्त था जब बजाज के स्कूटर हमारा बजाज वाले विज्ञापन से खूब लोकप्रिय थे। हर किसी की जुबां पर हमारा बजाज छाया रहता था। बजाज के स्कूटर का वेटिंग पीरियड सालों में पहुंच जाता था। कई लोग तो बुकिंग की पर्ची बेचकर ही पैसे कमा लेते थे, क्योंकि मांग बहुत ज्यादा थी और सप्लाई बहुत कम।
बजाज ऑटो की स्थापना 1960 में हुई थी, जिससे पहले यह कंपनी बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन हुआ करती थी। हमारा बजाज की कहानी 1926 से शुरू होती है, जब जमनालाल बजाज ने कारोबार के लिए बछराज एंड कंपनी नाम की फर्म बनाई थी। उनकी मौत के बाद दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की। आजादी के बाद 1948 में विदेशों से पार्ट्स मंगाकर उन्होंने दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाईं।
जब बेटे के काम पर जताई निराशा…
2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की। राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। हालांकि, जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा नहीं छिपाई। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ।’’
बिना डरे बोलते थे सरकार के खिलाफ
मुंबई में नवंबर 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा आलोचना को दबाने के बारे में खुलकर बोला जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। उन्होंने कहा था, ‘‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं उसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे।’’
पद्म भूषण से सम्मानित
बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे। उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई। वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आज तक वह ऐसे इकलौते व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे, पहली बार 1979-80 और फिर 1999 से 2000 तक।