नयी दिल्ली । अपने कॉर्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील ने नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने और अन्य हरित पहल पर 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। कंपनी का इरादा अपने तापीय बिजली इस्तेमाल को कम कर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने का है। कंपनी के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने यह जानकारी दी है।
विभिन्न इस्पात कंपनियां अपने खुद के इस्तेमाल के लिए ताप बिजली उत्पादन के लिए कोयले का इस्तेमाल करती हैं। इस्पात मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कुल कॉर्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन में लौह एवं इस्पात उद्योग का हिस्सा करीब आठ प्रतिशत बैठता है। भारत में कुल सीओ2 उत्सर्जन में इन उद्योगों का हिस्सा करीब 12 प्रतिशत है। ऐसे में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जताई गई प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भारतीय इस्पात उद्योग को उत्सर्जन में काफी कमी लाने की जरूरत है।
जिंदल स्टील ने कहा, ‘‘हमने विभिन्न पहल से अपने कॉर्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इसके तहत हम तापीय बिजली के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाएंगे और कच्चे माल की गुणवत्ता में सुधार से अपनी ईंधन दर को बेहतर करेंगे।’’
जिंदल ने कंपनी की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमने पहले ही एक गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अनुबंध किया है। इसमें से 225 मेगावॉट अप्रैल, 2022 में परिचालन में आ गई है। शेष नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग भी चरणों में शुरू होगा।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी के विजयनगर संयंत्र की क्षमता को 1.2 करोड़ टन सालाना से बढ़ाकर 1.95 करोड़ टन करने का काम चल रहा है। इसपर जो लागत आ रही है वह वैश्विक मानकों से काफी कम है।