नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में सुनवाई के दौरान इस बात पर हैरानी जताई कि अगर सरकार आतंकियों की जासूसी करा रही हैं तो इसमें गलत क्या है? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे ऐसी किसी भी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेंगे, जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हो। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि वे ऐसी किसी भी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेंगे, जो देश की सुरक्षा और सुप्रभुता से जुड़ी हो। हालांकि उन्होंने संकेत दिए कि वे निजता के उल्लंघन की व्यक्तिगत आशंकाओं पर विचार कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट पर सड़कों पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील दिनेश द्विवेदी ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘सवाल ये था कि क्या सरकार के पास स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है और क्या वह इसका इस्तेमाल कर सकती है? अगर सरकार के पास ये है तो कोई भी उन्हें इसका इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता।’ इस पर पीठ ने कहा कि ‘अगर देश आतंकियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? स्पाइवेयर रखना गलत नहीं है, ये किसके खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है, सवाल इसका है। देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। आम नागरिकों का संविधान के तहत निजता का अधिकार सुरक्षित किया जाएगा।’ पीठ ने कहा कि ‘कोई भी रिपोर्ट, जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हो, उसे छुआ नहीं जाएगा, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर अगर कोई यह जानना चाहता है कि वह रिपोर्ट में शामिल है या नहीं, उसे इसकी जानकारी दी जा सकती है। लेकिन रिपोर्ट को ऐसा दस्तावेज नहीं बनाया जाएगा कि सड़कों पर भी इसकी चर्चा हो।’ अदालत ने कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि किस हद तक तकनीकी समिति की रिपोर्ट को संबंधित व्यक्ति के साथ साझा किया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने मामले पर सुनवाई 30 जुलाई तक के लिए टाल दी।