Tuesday, December 16, 2025
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देवताओं ने की थी रंगों की वर्षा तब से मनाई जा रही है होली

होली आनंद और उल्लास का पर्व है। यह उत्सव खुशियों को मिल-बांटने का अवसर होता है। होलिका दहन से सारे अनिष्ट दूर हो जाते हैं। होली ऐसा त्योहार है जिसमें सारे भेदभाव दूर हो जाते हैं। होली ऋतु परिवर्तन का भी द्योतक है। होली पर घर में शांति बनाए रखने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है। घर में कलह के चलते होली पर की गई पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है।

सदियों से होली का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने तपस्या भंग करने का प्रयास करने पर कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से क्षमा याचना की, तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया, जिससे प्रसन्न होकर देवताओं ने रंगों की वर्षा की तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। स्वयं को ईश्वर घोषित कर चुके हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति भक्ति पसंद नहीं थी। उसने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया। होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद बच गया, तभी से होलिका दहन की परंपरा का आरंभ हुआ। होली से आठ दिन पहले से प्रह्लाद को बंदी बनाकर प्रताड़ित किया जाने लगा था, इसलिए होली से आठ दिन पहले के समय को होलाष्टक कहा जाता है।

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