छोटा व्यवसाय शुरू कर उसे शिखर तक पहुँचाने वाले और 98 वर्ष की उम्र में भी अपनी जिंदादिली, अपनी सक्रियता से सबको चौंका देने वाले एमडीएच ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का गत 3 दिसम्बर को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के माता चानन देवी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 98 वर्षीय महाशय धर्मपाल गुलाटी बीमारी के चलते पिछले कई दिनों से माता चानन देवी अस्पताल में भर्ती थे। इससे पहले महाशय गुलाटी कोरोना से संक्रमित हो गए थे। हालांकि बाद में वह ठीक हो गए थे। भारत सरकार ने पिछले साल उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
एमडीएच के सभी विज्ञापनों में मॉडलिंग की
शुरू से लेकर 98 वर्ष की उम्र में भी अपने ब्रांड के सभी विज्ञापनों में खुद मॉडलिंग करने वाले महाशय धरमपाल गुलाटी को ‘दादजी’, ‘मसाला किंग’, ‘किंग ऑफ स्पाइसेज’ और ‘महाशयजी’ के नाम से भी जाना जाता था। मशहूर धरमपाल गुलाटी का जन्म 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले धर्मपाल गुलाटी शुरुआती दिनों में विभिन्न व्यवसायों में हाथ आजमाने के बाद अपने पिता के मसाले के व्यवसाय में शामिल हो गए थे। 1947 में देश के विभाजन के बाद महाशय धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में कुछ दिन रहे। इसके बाद मन में कुछ बड़े निश्चय लेकर वह दिल्ली आ गए थे। दिल्ली आने के समय 27 सितंबर 1947 को उनके पास केवल 1500 रुपये थे। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने एक साक्षात्कार में स्वयं बताया था कि इन 1500 रुपए में से 650 रुपये में उन्होंने एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच चलाया लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोल बाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटी-सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे मसाले का कारोबार चल निकला और एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 1959 में आधिकारिक तौर पर एमडीएच कंपनी की स्थापना की थी। शुरुआती संघर्ष के बाद धीरे-धीरे उनका मसालों का व्यवसाय केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैल गया। इससे गुलाटी भारतीय मसालों के बड़े वितरक और निर्यातक बन गए।
महाशय धर्मपाल गुलाटी की कंपनी ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा आदि सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है और भारत की तो यह शीर्ष मसाला कंपनी है ही। अपनी गुणवत्ता के लिए एमडीएच ब्रांड के मसाले खूब मशहूर हैं। महाशियां दी हट्टी’ (एमडीएच) की स्थापना उनके दिवंगत पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने की थी। उद्योग जगत को नई दिशा देने के लिए वर्ष 2019 में भारत सरकार ने महाशय धर्मपाल गुलाटी को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। एमडीएच मसाला के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान करते थे। व्यापार के साथ ही महाशय धर्मपाल गुलाटी ने विभिन्न सामाजिक कार्य भी किये। इनमें अस्पताल और स्कूल आदि बनवाना आदि शामिल है।