तिरुवनंतपुरम । शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया दुनिया को छोड़ चला है। बीते रविवार को बाबिया की मौत हो गई थी। बाबिया नाम का मगरमच्छ दुनिया का पहला ऐसा मगरमच्छ था, जो कि शाकाहारी था। बाबिया की उम्र करीब 70 साल बताई जाती है। बाबिया केरल के कासरगोड जिले स्थित श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर परिसर में बने तालाब में रहता था। जब बाबिया की अंतिम यात्रा निकाली गई तो हर किसी की आंखे नम दिखीं। इसके पीछे की वजह बाबिया की भगवान के प्रति अद्भुत भक्ति को माना जाता था।
भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था बाबिया
बाबिया श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर परिसर में बने तालाब में ही रहा करता था। बाबिया को भगवान विष्णु का अनन्य भक्त बताया जाता था। वह दिन में दो बार तालाब से बाहर निकलकर आता था और मंदिर में जाकर दर्शन करता था। वहीं आने-जाने के दौरान बाबिया ने कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। इसके साथ ही वह खाने में वही प्रसाद खाता था, जो कि भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता था।
बाबिया को देखने जुट जाती थी भक्तों की भीड़
बाबिया नाम के मगरमच्छ को लेकर कहा जाता है कि पूरी जिंदगी में उसने कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। तालाब में रहने के बावजूद वहां रहने वाली मछलियों तक को कभी बाबिया ने जरा सा परेशान तक नहीं किया। वह भक्तों के बीच कौतुहल का विषय था। जब भक्त मंदिर में आकर भगवान को भोग लगाते थे और मन्नत मांगते थे तो कोई ऐसा नहीं होता था जो दिल से बाबिया के दर्शन की चाह न रखता हो। सुबह और दोपहर की पूजा के बाद बाबिया को भोजन दिया जाता था, जो कि केवल प्रसाद ही खाता था।
1945 में तालाब में प्रकट हुआ था बाबिया
दुनिया के पहले शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया के जन्म की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उसके जन्म को लेकर बताया जाता है कि बाबिया साल 1945 में तालाब में प्रकट हुआ था। कहा जाता है कि साल 1945 में एक ब्रिटिश सैनिक ने मंदिर में मगरमच्छ को गोली मार दी थी। इसी के कुछ दिन बाद मंदिर के तालाब में बाबिया अपने आप ही प्रकट हो गया था।