दीवाली पर चमचमाए आपका फर्नीचर

दिवाली आते ही हर साल आप ढेरों तैयारियों में जुट जाती हैं। घर के कोने-कोने की सफाई शुरू हो जाती है। घर की दीवारों की पेंटिंग, घर की सजावट वाले सामान, रोशनी की व्यवस्था जैसी हर छोटी-बड़ी बात का पूरा ध्यान रखती हैं। आपकी इन तैयारियों का एक अहम हिस्सा घर का फर्नीचर भी होता है। अब इसे बार-बार तो बदला नहीं जा सकता। हां, इसका रख-रखाव इसे नये जैसा जरूर बनाए रखता है। ऐसे में जरूरी है फर्नीचर को समझना और उसी हिसाब से उसकी देखभाल करना। तभी वो अपनी रंगत बरकरार रख पाते हैं। इसके अलावा अगर इस बार आप घर के लिए नया फर्नीचर खरीदने या बनवाने जा रही हैं तो सिर्फ उसकी डिजाइन पर ध्यान देना जरूरी नहीं है। और भी कुछ बातें हैं जिनका पता लगाकर फर्नीचर घर लाइए, ताकि वो कई सालों तक आपका साथ दें।
फर्नीचर की सफाई को आपने रोज का नियम बना लिया है, तो थम जाइए। ये उसकी रंगत जल्दी फीकी कर देता है। फर्नीचर को चाहिए हफ्ते की सिर्फ एक सफाई। फर्नीचर में अगर पॉलिश सही तरीके से है तो उसमें धूल वैसे ही नहीं जमती। ऐसे में आप सूती कपड़े पर थोड़ा पानी छिड़क कर सफाई करें। हां, अगर पॉलिश नहीं चढ़ी है तो सूखे कपड़े से झाड़ दें। वैसे अनपॉलिश्ड वुड घर पर नहीं रखना चाहिए। वो कीड़ों के लिए खाने का सीधा न्योता है। अगर फर्नीचर पर कहीं अनपॉलिश्ड सतह है भी तो उसको सूखे कपड़े से ही साफ करें।
बचाव है जरूरी
लकड़ी प्राकृतिक होती है, इसलिए कीड़ों के लिए भोजन का काम भी करती है। इसके साथ ही लकड़ी हाइड्रोस्कोपिक भी होती है यानी उसे पानी खासा पसंद है। इन दोनों ही चीजों से लकड़ी को बचाना बेहद जरूरी है। पानी से बचाव के लिए फर्नीचर पर कोटिंग या पॉलिश करवाना जरूरी होता है। वहीं कीड़ों से बचाने के लिए आप प्रिजरवेशन करवाना न भूलें। सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध प्रिजरवेटिव बोरेक्स बोरिक एसिड है, जो फर्नीचर पर लगा सकती हैं। फर्नीचर बनवाने जा रही हों या पॉलिश करवा रही हों तो प्रिजरवेटिव जरूर लगवाएं।
घर पर तैयार करें पॉलिश
पॉलिश सिर्फ फर्नीचर को चमक देने के मकसद से नहीं लगाई जाती है, वो उसका बचाव भी करती है। इसके लिए कई बार लोग बाजार की वैक्स पॉलिश का इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करना लंबे समय बाद फर्नीचर की सेहत खराब कर देता है। इस काम के लिए घर पर ही पॉलिश तैयार की जा सकती है। इसके लिए आपको चाहिए, सिरका और ऑलिव ऑयल। एक बरतन में एक हिस्सा सिरका और तीन चौथाई हिस्सा ऑलिव ऑयल डालकर मिलाएं। अब इस पॉलिश को सूती कपड़े की मदद से फर्नीचर पर लगा दें। जब भी फर्नीचर पुराना सा लगने लगे तो आप इस पॉलिश का इस्तेमाल कर सकती हैं। सिरका एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबल होता है, जो कीड़ों से फर्नीचर को बचाता है। इस काम में नीम के तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
वातावरण का प्रभाव
फर्नीचर कितना लंबा चलेगा ये उसकी कोटिंग पर निर्भर करता है। इसलिए जरूरी है कि वातावरण के हिसाब से उसकी कोटिंग का चुनाव किया जाए। घर के भीतर रखे जाने वाले सभी फर्नीचर में इंटीरियो वाली कोटिंग होती है। इन्हें ऑयल फिनिश कहते हैं। ये सिर्फ हल्की नमी से बचाव कर फर्नीचर को चमक देते हैं। ऐसे फर्नीचर को खिड़की आदि के पास रखने से बचें वरना फर्नीचर जल्दी खराब हो जाएगा। अगर आप खुले में फर्नीचर रखना चाहती हैं तो उसमें एक्सटीरियर वाली कोटिंग करवा लें। लकड़ी के अंदर लिगनिंन होता है, जो धूप से पीला पड़ने लगता है। इसी कारण बाहर रखे जाने वाले फर्नीचर पर यूवी रेजिस्टेंट पॉलीयूरेथिन पॉलिश, जिसमें नैनो जिंक ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है, लगाना जरूरी है।
न गले दरवाजा
कई बार पानी की मार से बचाने के लिए बाथरूम के दरवाजे पर लोग टिन या एल्यूमीनियम की शीट लगवा देते हैं। लेकिन कभी गौर किया है कि दरवाजा उसके बाद भी गल जाता है। दरअसल कोई भी लकड़ी अपनी समतल सतह से पानी नहीं सोखती है। वो अपने किनारों से ही पानी सोखती है। दरवाजे हमेशा नीचे या ऊपर से गलना शुरू होते हैं। इनके बचाव के लिए आप किनारों पर हर दो साल में ऐरेलडाइट का सल्यूशन लगवा लें।

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