-सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) रिपोर्ट में खुलासा
कोलकाता। सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण के मामले में कोलकाता दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) द्वारा देश के छह प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद व बेंगलुरु की वायु गुणवत्ता के एक अक्टूबर, 2024 से 31 जनवरी, 2025 की अवधि के दौरान किए गए विश्लेषण में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है।
विश्लेषण कोलकाता के सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों (सीएएक्यूएमएस) के रियल टाइम डेटा पर आधारित है। कोलकाता में पिछली सर्दियों में औसत पीएम2.5 स्तर 65 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है, जो दिलली (175) के बाद सर्वाधिक है।
वहीं, अधिकतम पीएम 2.5 स्तर दो नवंबर, 2024 को 135 दर्ज हुआ, हालांकि सर्दियां जब अपने उच्चतम स्तर पर थी, उस वक्त कोलकाता में प्रदूषण का स्तर पिछले वर्ष से कम रहा है, हालांकि इसके बावजूद यह खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की श्रेणी में ही रहा है।
जनवरी, 2025 कोलकाता के लिए सबसे प्रदूषित महीना रहा है। कोलकाता में खराब एक्यूआई वाले दिनों की कुल संख्या 15 रही, जो दिल्ली के बराबर है, वहीं बेहद खराब एक्यूआइ वाला एक दिन भी दर्ज हुआ। कोलकाता में अच्छे एक्यूआई वाले मात्र 11 दिन ही देखे गए।
कोलकाता के सबसे प्रदूषित इलाकों में बालीगंज (80), फोर्ट विलियम्स (71), जादवपुर (63), विक्टोरिया (62). रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (62) व बिधाननगर (57) शामिल रहे, हालांकि ‘सिटी ऑफ ज्वाय’ के नाम से मशहूर इस शहर में पिछले चार वर्षों में सर्दियों में पीएम 2.5 स्तर सबसे कम रहा है। पिछली तीन सर्दियों की तुलना में इसमें 19 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक, (अनुसंधान व वकालत) अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि किसी भी जलवायु क्षेत्र में सर्दियों के समय प्रदूषण का चरम पर पहुंचना तेजी से शहरीकरण व मोटरीकरण वाले शहरों में लगातार वायु प्रदूषण की अंतर्निहित समस्या का संकेत है।
प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों का बढ़ता प्रभाव इन शहरों में प्रदूषण के हॉटस्पाट में दिखाई देता है, जिससे स्थानीय जोखिम और बढ़ रहे हैं। इन शहरों को स्वच्छ वायु मानकों को पूरा करने के लिए सभी स्रोतों से प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरी केंद्रों को प्रतिकूल मौसम विज्ञान की अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो सांद्रता को बढ़ाता है।