आजकल पुरूषों और महिलाओं में बालों का गिरना जिसे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया(गंजापन) कहते हैं, एक चिंता का विषय बना हुआ है, खासकर 25 साल या उससे ऊपर की उम्र के लोगों में. क्लिनीशियन और कास्मेटालिजिस्ट इसका उपाय लंबे समय से ढ़ूंढ़ने में जुटे हैं. एक तरफ जहां गैर सर्जरी वाले बाल उगाने के उपाय जैसे ऊपर से लगाने वाले मिनाक्सडिल, प्रिस्क्रिप्शन ओरल फिनास्टेराइड, प्लेटेलेट वाले प्लाज्मा (पीआरपी) इंजेक्शन और लाइट एंड लेजर थेरेपी के मिले-जुले इलाज बालों का गिरना रोक सकते हैं, लेकिन इन सभी के साइड इफेक्ट भी होते हैं.
आइए बात करते हैं क्यूआर 678® थेरेपी की जो एक मौलिक (पेटेंट) और बालों के गिरने को रोकने और फिर से उगाने की थेरेपी है, जिसने गंजेपन के इलाज में एक तरह से क्रांति ला दी है. इस थेरेपी का नामकरण आज की पीढ़ी में चल रहे क्विक रिस्पांस या क्यूआर कोड के नाम पर रखा गया है, क्यूआर 678® जबकि 678 मोर्स कोड का संकेत देता है, जिसका मतलब हुआ कोई जवाब नहीं है.
इस थेरेपी का आविष्कार डा.देबराज शोम- क्लिनिकल साइंटिस्ट एंड लीडर, आर एंड डी टीम क्यूआर 678® और डा.रिंकी कपूर ने किया है। दोनों ही डाक्टर भारत के मशहूर कास्मेटिक सर्जन हैं और दी ऐस्थेटिक क्लिनिक्स के सह-संस्थापक भी। दी ऐस्थेटिक क्लिनिक्स, डरमेटालाजी और प्लास्टिक सर्जरी की एक जानीमानी चेन है जिसके देश भर के शहरों में कई केंद्र हैं। इन दोनों डाक्टरों का ध्यान इस बात पर गया कि भारत में 58 फीसदी पुरूष जिनकी उम्र 30-50 तक है वे तेजी से गंजेपन(एंड्रोजेनिक एलोपेसिया) के शिकार हो रहे हैं, जिसके चलते दोनों ने रिसर्च करने की योजना बनाई। इस कास्मेटिक मुद्दे की जिज्ञासा और उसके निदान के रूप में उन्होंने रिसर्च की जिसके फलस्वरूप क्यूआर 678® थेरेपी का जन्म हुआ। इस थेरेपी से बालों का झड़ना तेजी से रूकता है, साथ ही, बचे हुए बालों की कोशिकाएं मोटी होती हैं, उनका घनत्व बढ़ता है और संख्या भी। इससे गंजेपन के शिकार हुए लोगों को काफी राहत मिलती है। दोनों डाक्टरों ने अपनी टीम के साथ क्यूआर 678 और पीआरपी के इलाजों के बीच जांच के परीक्षण तुलनात्मक रूप से किए और पाया कि क्यूआर 678 के परिणाम, पीआरपी की तुलना में 300 फीसदी से ज्यादा अच्छे हैं। इस थेरेपी से परंपरागत रूप से किए गए ट्रास्प्लांट में भी 50 फीसदी ज्यादा अच्छे परिणाम दिखते हैं।
बालों को फिर से उगाने वाले आज जो इलाज बाजार में उपलब्ध हैं, उनकी अपनी ढेर सारी सीमाएं हैं,वे बालों को एक निश्चित स्तर के बाद नया नहीं कर सकते। क्यूआर 678® की प्रक्रिया के तहत बढ़ोतरी के कारकों को बालों की कोशिकाओं में इंजेक्ट कर देते हैं, जिससे न सिर्फ बालों का झड़ना रूक जाता है बल्कि बालों में वृद्धि भी होती है। क्यूआर 678® बालों के दोबारा बढ़ने के लिए एक गैर-सर्जिकल, दर्द रहित और बिना शल्यक्रिया वाली प्रक्रिया है, जिसका असर 100,000 से ज्यादा मरीजों में बहुत ही अच्छा देखने को मिला है। क्यूआर 678® थेरेपी को वर्ष 2017 में अमेरिका के प्रतिष्ठित कंपोजिशन एंड मैकेनिज्म आफ एडमिस्ट्रेशन पेटेंट का अवार्ड भी मिल चुका है। साथ ही, भारतीय एफडीए ने भी इसे व्यावसायिक उत्पादन और बिक्री की अनुमति वर्ष 2019 में प्रदान की है। इस थेरेपी को ईयू, यूके, कुवैत जैसे देशों में भी एफडीए की अनुमति मिल चुकी है और कुछ देशों में मिलनी बाकी है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की अनुमति मिलने का मतलब ही होता है कि इसकी प्रभावशीलता और क्षमता का विश्लेषण सीडीईआर ने किया है और अब यह पक्का हो चुका है कि इसके लाभ संभावित जोखिमों से कहीं ज्यादा हैं।
ईयू और ब्रिटेन के बाजारों में क्यूआर 678® थेरेपी की लांचिंग शूरू हो चुकी है, इसके बाद इन बाजारों के ज्यादातर हेयर क्लिनिकों में यह थेरेपी उपलब्ध हो जाएगी. वर्तमान में QR678® उत्पाद की मैन्यूफैक्चरिंग कोरिया में की जा रही है, और यूरोप में भी इसकी इकाइयां लगाई जा रही हैं. फिलहाल अभी य़ूरोपीय कंपनी इसके वितरण का काम दुनिया भर में करेगी, क्यूआर 678®को लेकर तमाम संशोधन किए जा रहे हैं जिसके कारण, इसके पेटेंट को लेकर नए सिरे से आवेदन किया जाएगा, ये पेटेंट ज्यादा प्रभावशाली रहेंगे. इसके अलावा, क्यूआर 678®की टीम जल्द ही बाजार में अपने हेयर प्रोडक्ट्स लेकर आ रही है, जिसमें पौष्टिक शैंपू, सेरम्स जैसे तमाम उत्पाद होंगे।
वृद्धि के कारक, हारमोन में असंतुलन, जीवन शैली का अस्त – व्यस्त होना, तनावपूर्ण जीवन आदि तमाम ऐसे कारण हैं जिनसे बालों का गिरना शुरू होता है. QR678® एक सिद्ध निदान के रूप में इन गैपों को भरने की कोशिश करता है।
कोविड के कारण बालों का गिरना
कोविड से प्रभावित मरीजों में शारिरिक और भावनात्मक तनावों के कारण बालों की तेजी से गिरने की प्रवृत्ति देखने को मिली है. कोविड के मरीज के बाल आमतौर पर मरीज के कोविड-19 से ठीक होने के दो या तीन महीने बाद गिरने शुरू होते हैं। ज्यादातर बालों का गिरना औसतन 55 दिनों के बाद शुरू होता है। बालों के गिरने के कारण मुख्य रूप से संक्रमण, भोजन में बदलाव, अकेले रखे जाने के काऱण उपजा तनाव और तनाव वाले दूसरे कारक हो सकते हैं. इस तरह के बालों के गिरने को टेलोजेन एफल्यूवियम कहते हैं। यह बालों के गिरने की एक अस्थाई स्थिति होती है और अक्सर कोविड के मरीजों में देखने को मिलती है, जो झटका मरीज को बीमारी के दौरान आए बुखार और दूसरे कारणों से होता है। इस महामारी के साइड इफेक्ट में बालों का गिरना तेजी से बढ़ते हुए देखा गया है, लेकिन क्यूआर 678® थेरेपी के सिर्फ चार सेशन करने के बाद, बालों की कोशिकाओं के घनत्व में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली, और बाल झड़ने की प्रक्रिया में काफी रूकावट आई। इस रिसर्च स्टडी को जर्नल आफ कास्मेटिक डर्मेटालोजी में भी प्रकाशित किया गया है।
थेरेपी कैसे काम करती है
त्वचा की ऊपरी और निचली सतह पर जो सिग्नल भेजे जाते हैं, उससे बालों की कोशिकाओं में काफी ब़ढ़ोतरी होती है, बालों की कोशिकाओं के विकास के तीन चरण हैं एनेजन (वृद्धि), कैटेजन (डारमेंसी) और टेलोजन (झड़ना), एनेजन के चरण को विस्तार देने से बालों के विकास और वृद्धि में मदद मिलती है, जो इसके संकेत देता है। वृद्धि के कारक, डर्मल पैपीला कोशिकाओं को बढ़ने का संकेत देते हैं या फिर एनेजन के चरण को बढ़ा देते हैं और QR678® इन वृद्धि के कारकों को बढ़ाने के लिए विशेष तैयारी करता है, जो इस संदेश को भेजते हैं।
इस प्रक्रिया को मिसोथेरेपी से संपन्न किया जाता है, जो पेटेंट किए गए QR678 परमाणुओं के द्वारा की जाती है। इन परमाणुओं को विकास के तत्वो की संज्ञा दी गई है, जिन्हें व्यावहारिक तौर पर सिर की त्वचा पर बिना दर्द पहुंचाए आरोपित किया जाता है। बालों की कोशिकाओं का विकास 5-8 सत्रों में होता है जिन्हें 2-3 हफ्तों के अंतराल में डाला जाता है. आमतौर पर 1 मिली का साल्यूशन प्रति बैठक में डाला जाता है जिसमें 15 मिनट का समय लगता है, कहीं रूकने की जरूरत नहीं पड़ती और हर सत्र का शुल्क लगभग 7,000 रूपए होता है।
QR678® को एफडीए ने न्यूनतम इनवेसिव रिग्रोथ ट्रीटमेंट के तौर पर मान्यता दी है. इसके लाभ निम्न हैं –
⦁ इसमें कई तरह के ग्रोथ के कारक होते हैं, जिनसे बालों को बढ़ने में और बालों की कोशिकाओं को मजबूत बनाने में मदद मिलती है.
⦁ यह पीआरपी की तुलना में ज्यादा आरामदेह और मजबूत होता है.
⦁ प्लांट में किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता
⦁ इसके परिणाम देर तक रहते हैं और सफलता की दर 90 फीसदी तक रहती है.
⦁ दस से ज्यादा क्लिनिकल जांचों के दौरान तमाम बाल झड़ने की स्थितियों में मजबूत परिणाम देखने को मिले हैं, जो अमेरिका के श्रेष्ठ जनर्लो और उसी तरह के जनर्लों में समीक्षा की गई है.
इस प्रकार के हेयर ट्रीटमेंट/थेरेपी में उन प्राकृतिक ग्रोथ कारकों का मिश्रण रहता है जो पहले से त्वचा में शामिल रहते हैं और इसी कारण यह सभी के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इसमें उचित प्रकार के हेयर ग्रोथ फैक्टर उपस्थित होते हैं,जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसका प्रयोग एक आउटपेशेंट प्रक्रिया के रूप में होता है और इलाज कराने के आठ हफ्तों के भीतर ही परिणाम दिखने शुरू हो जाते हैं। इस थेरेपी से बालों का झड़ना बंद हो जाता है, और बालों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, बालों की कोशिकाएं और घनत्व में वृद्धि होती है।
यह पुरूषों के गंजेपन के लिए काफी कारगर होता है साथ ही, महिलाओं के बाल झड़ने को भी काफी हद तक रोकता है। क्यूआर 678® थेरेपी के बहुत अच्छे परिणाम कैमियोथेरेपी के बाद झड़ने वाले बालों को रोकने में भी सामने आए हैं। साथ ही, सीबोरिहिक डर्माटाइटिस और इम्यूनोजेनिक बीमारियों जैसे एलोपेसिया एरिएटा जैसी बालों की बीमारियों में भी यह थेरेपी बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।
हो सकता है कि बालों का झड़ना एक कास्मेटिक का मामला लगता हो, लेकिन इससे मानसिक नुक्सान ज्यादा हो जाता है. हमारे अध्ययनों के दौरान यह बात सामने आई है कि बालों के गिरने से मनोवैज्ञानिक असर बहुत ज्यादा पड़ता है, जिसके प्रभाव निजी संबंधों, आत्मविश्वास, भविष्य की तरक्की पर पड़ते हैं, जिससे बाद में लोग कम असरकारक और कमजोर महसूस करने लगते हैं। वास्तव में देखा जाए तो भारत सरकार बालों के मसलों को एक कास्मेटिक रूप में देखती है जिसके कारण इसपर जीएसटी का प्रावधान है, फिलहाल क्यूआर 678®के अध्ययनों से जो बात सामने आई वह बताती है कि यह एक मेडिकल का मसला है जिससे मनोवैज्ञानिक कारकों की उत्पत्ति होती है।
यह वास्तव में एक स्वदेशी उत्पाद है जिसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है। य़ह सिद्ध हो चुका है कि बालों के फिर से आने के लिए यह इलाज दूसरे किसी सर्जिकल या गैर सर्जिकल से अच्छे परिणाम देता है। यह थेरेपी आज दुनिया के 10 से भी ज्यादा देशों के नामचीन त्वचा और हेयर क्लिनिकों में इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि QR 678 ® हेयर ग्रोथ थेरेपी अब फ्रेंचाइजी और वितरकों की एक विशाल श्रंखला के माध्यम से दुनिया भर में उपलब्ध है, लेकिन दी ऐस्थेटिक क्लिनिक्स की टीम आज भी इसके आविष्कार और रिसर्च एंड डेवलेपमेंट के लिए उत्तरदायी है। उत्तर भारत के बाजारों खासकर पंजाब में इस थेरेपी के कारण दो हजार (2000) से भी ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। पंजाब में कोविड से संबंधित बाल के गिरने वाले मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा थी जिनको QR 678 ® हेयर ग्रोथ थेरेपी का काफी लाभ हुआ। क्यूआर 678®हेयर ग्रोथ थेरेपी की कीमत परंपरागत हेयर ट्रांस्प्लांट के जैसी ही है और इसका उपयोग सभी लिंगों औऱ उम्र के लोग कर सकते हैं।