घर का मुखिया होने के नाते पुरुषों के मन में सदैव अहं का भाव रहता है। यही भाव ससुर-दामाद के सम्माननीय और प्रेम से भरे रिश्ते के आड़े आकर सबकुछ तहस-नहस कर सकता है। लेकिन जिन परिवारों में बेटे नहीं होते वहां दामाद ही ससुर के बाद मुखिया माने जाते हैं और उन्हें ही सारी पारिवारिक जिम्मेदारियां वहन करनी होती हैं।
दामाद युवा इसलिए जिम्मेदारी ज्यादा
अच्छा दामाद बनने के लिए कोई हार्ड रूल्स एंड रेगुलेशन्स नहीं हैं। जब माता पिता बेटी के तौर पर आपको अपनी सबसे खास चीज सौंपते हैं तो यह आपका फर्ज है कि कुछ सामान्य बातों को अपनाकर उन्हें खुश होने के मौके दें। आपका थोड़ा सा प्रयास आपको भावी पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बना सकता है।
एक-दूसरे का सम्मान बेहद जरूरी
अधिकतर युवा अपने माता-पिता के लिए पत्नी से अपेक्षा रखते हैं कि वह उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार करे, जैसा कि वह स्वयं के माता पिता के साथ करती है। इस हिसाब से एक दामाद को भी इसी धर्म का पालन करना चाहिए। यहां अंग्रेजी के “इन लॉ’ शब्द का परित्याग करें और माता-पिता व पुत्र का रिश्ता बनाएं। सम्मान एक पारस्परिक प्रक्रिया है। अपने सास ससुर को प्यार और सम्मान दें और निश्चित ही वे भी आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगे। जब भी कभी कठिन समय आता है तो बच्चे अपने माता पिता की जिम्मेदारी उठाते हैं। अत: अच्छा दामाद बनने के लिए इसी नियम को यहां भी अपनाएं। यदि आपको यह महसूस होता है कि उन्हें सहारे की आवश्यकता है तथा वे सही हैं तो उनके साथ खड़े रहें, भले ही दुनिया विरोध में हो।
प्यार जताना भी है जरूरी
जब तक भावनाएं व्यक्त न हों, महसूस नहीं की जा सकतीं। इसलिए प्रेम का प्रदर्शन बेहद जरूरी है। कुछ दिन उनके साथ रहकर वक्त बिताएं, छुट्टियों पर जाएं, उन्हें फोन करें तथा उन्हें उपहार दें। उन्हें ये सब अच्छा लगेगा तथा उन्हें इन सब बातों से खुशी मिलेगी जो उनके लिए जीवन की अन्य किसी भी खुशी से बढ़कर होगी। कोई आदान प्रदान न रखें पैसा और संपत्ति सभी संबंधों में झगड़े का मूल कारण होते हैं। अच्छा दामाद बनने का अगला सुझाव यही है कि इस बात को हर संबंधों पर लागू करें विशेष रूप से सास-ससुर के साथ। आपकी यह छोटी सी कोशिश आपके लिए हमेशा उनके मन में सम्मान और कृतज्ञता का भाव पैदा कर देगी। इस तरह से आप भी उनके ज्यादा करीब आ सकेंगे।
मर्यादा बनाए रखें
किसी भी रिश्ते को हेल्दी बनाए रखने के लिए हमेशा कुछ सीमाओं और मर्यादाओं का पालन करना जरूरी होता है। इस नाजुक रिश्ते में भी कुछ मर्यादाएं रखें
ससुर रखें इस बात का ध्यान
सामाजिक परिवर्तन एकाएक नहीं होते इसलिए दामाद के मन में पल रहे सम्मान के उस भाव का ख्याल रखें जिसके साथ वह युवा हुआ है।
बेटी और दामाद के बीच अगर किसी विषय काे लेकर मनमुटाव है तो उसे महज बेटी का पिता होने की नजर से न देखें। दोनों पक्षों को समझते हुए निराकरण कराएं।
दामाद का भी स्वयं का परिवार है, इसलिए रह- रहकर उसे अपनी समस्याओं में उलझाने से बचें।
घर के महत्वपूर्ण मसलों पर उसकी राय लें ताकि उसे अपनेपन और महत्ता का एहसास हो।