सुषमा त्रिपाठी
-एसएससी सीजीएल में 5 लाख परीक्षार्थी, 55 हजार शिकायतें
– सड़क पर उतरे शिक्षकों व विद्यार्थियों से बदसलूकी
– एसएससी चेयरमैन ने गलती मानी
कोलकाता । नौकरी खासकर सरकारी नौकरी हर युवा का सपना होता है। मध्यमवर्गीय परिवारों में सरकारी नौकरी परिवारों का भाग्य बदल देती है औऱ इसके लिए अधिकतर युवा अपनी पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भरते नजर आते हैं। भूख, प्यास व कष्ट सहकर, कई बार परिवार से दूर रहकर संघर्ष करते हुए कोशिश जारी रखते हैं मगर व्यवस्था को जैसे इन बच्चों की पीड़ा से कोई मतलब ही नहीं है। फिलहाल स्टाफ सलेक्शन कमिशन की नियुक्ति परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर मामला गरमाया है। 194 केंद्रों पर परीक्षा रद्द हुई। 5 लाख परीक्षार्थी प्रभावित हुए। कोचिंग सेंटरों के शिक्षकों ने सड़कों पर उतरकर अपने विद्यार्थियों के हक में आवाज उठाय़ी। एसएससी के अध्यक्ष एस गोपालकृष्णन ने बताया कि कर्मचारी चयन आयोग हाल ही में हुई चयन पद चरण 13 की परीक्षा रद्द नहीं करेगा, बल्कि उन प्रभावित उम्मीदवारों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित कर सकता है जो उचित अवसर से वंचित रह गए थे। एसएससी सीजीएल (स्टाफ सिलेक्शन कमीशन कॉम्बाइन ग्रेजुएट लेवल) फाइनल रिजल्ट 2024 के जारी होने के बाद से अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। गत 31 जुलाई गुरुवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन हुआ। नई एजेंसी एडुक्विटी पर छात्रों ने कई तरह के आरोप लगाए हैं, इसे बैन करने के साथ टीसीएस की वापसी की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा मुखर है। सोशल मीडिया पर विख्यात नीतू सिंह ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों और शिक्षकों पर पुलिस ने अचानक लाठियों और थप्पड़ों से हमला कर दिया। पुलिस ने बिना चेतावनी धक्का-मुक्की शुरू की, जिससे भगदड़ मच गयी, उन्हें छिपना तक पड़ गया। वे एसएससी से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और फाइनल आंसर की जारी करने की मांग कर रहे हैं। कई अभ्यर्थियों ने फाइनल रिजल्ट में गंभीर त्रुटियां उजागर की हैं, खासकर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर। उनका आरोप है कि जिन उम्मीदवारों के अंक बहुत कम थे, उन्हें नॉर्मलाइजेशन के बाद अचानक ज्यादा अंक मिले, जिसे वे अनुचित और असंगत मानते हैं।उमेद प्रताप सिंह नामक एक अभ्यर्थी ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जाहिर की और लिखा, “एसएससी सीजीएल 2024 फाइनल रिजल्ट 13 मार्च को जारी हुआ और यह विवादों में घिरा है। कई छात्रों के अंक नॉर्मलाइजेशन के बाद अचानक बढ़ गए। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने परीक्षा के पहले दिन तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं के बाद कुछ केंद्रों पर चयन पद चरण 13 की कंप्यूटर-आधारित परीक्षा रद्द कर दी है। 24 जुलाई से शुरू हुई एसएससी चयन पद चरण 13 की परीक्षा 1 अगस्त तक चली। एसएससी परीक्षाओं में तकनीकी खराबी, साइट हैंग होना और परीक्षा कैंसिल होने से छात्रों का भरोसा कम हुआ है। कई परीक्षा केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
आरोप है कि कई परीक्षा केंद्र ऐसे गांवों में बनाए गए हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। कई जगह पंखे नहीं चलते, टेबल्स परीक्षा से दो दिन पहले बनाए जा रहे हैं। ऐसे में छात्र परीक्षा देने को लेकर असहज महसूस करते हैं। एडुक्विटी कई राज्यों में ब्लैकलिस्ट रही है। इसके सेंटर बहुत दूर दिए गए हैं। सर्वर स्लो है, माउस तक नहीं चल रहा। सिस्टम ब्लैंक हो रहा है और कर्मचारियों का व्यवहार भी अनुचित बताया गया। उम्मीदवारों का कहना है कि अगर पांच लाख छात्रों की परीक्षा भी एजेंसी ठीक से नहीं करा पा रही। वे चाहते हैं कि एजेंसी बदली जाए या फिर मजबूत निगरानी और जिम्मेदारी तय की जाए। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने कई वर्षों तक एसएससी और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाएं सफलतापूर्वक करवाई हैं। उसका ट्रैक रिकॉर्ड साफ है, तकनीकी व्यवस्था मजबूत है और सेंटर भी संतुलित होते थे। इसलिए छात्र चाहते हैं कि एसएससी द्वारा फिर से टीसीएस को ही परीक्षा लेने दिया जाए। उम्मीदवारों की तत्काल चिंता को दूर करने के लिए 2 अगस्त को तीन पालियों में अतिरिक्त परीक्षाएं आयोजित की गईं। 2 अगस्त को लगभग 16,600 अभ्यर्थियों को पुनः परीक्षा देनी थी, लेकिन केवल 8,048 अभ्यर्थी (60 प्रतिशत) ही उपस्थित हुए। अध्यक्ष ने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो एसएससी प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित करेगा मगर एजेंसी बदलने की मांग फिलहाल नहीं मानी गयी है।
परीक्षार्थियों का कहना है कि पांच लाख उम्मीदवारों में से 55 हजार ने शिकायतें दी हैं। अब 13 अगस्त से एसएससी-सीजीएल (कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल) की परीक्षा शुरू होने वाली है, जिसमें 30 लाख परीक्षार्थी होंगे तो ये चरमराया सिस्टम उससे कैसे निपटेगा।