दक्षिण दिनाजपुर। जिले के तपन ब्लॉक अंतर्गत घाटुल गांव में एक प्राचीन शैल मूर्ति मिली है। मिट्टी के नीचे से बरामद इस मूर्ति को इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से एक अमूल्य धरोहर माना जा रहा है। रविवार को वन विभाग के बालुरघाट रेंज के रेंजर तापस कुंडू ने मौके का निरीक्षण किया। उन्होंने न केवल उस स्थान का जायजा लिया, जहां से मूर्ति बरामद हुई, बल्कि मूर्ति की वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था और वनभूमि संरक्षण को लेकर ग्रामीणों के साथ विस्तृत चर्चा भी की। इतिहासकारों की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह मूर्ति 11वीं शताब्दी के पाल वंश काल की कलाशैली का एक अनूठा उदाहरण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हिंदू देवता शिव के अत्यंत उग्र और शक्तिशाली स्वरूप ‘कालभैरव’ अथवा ‘अघोर’ देव की एक दुर्लभ प्रतिमा हो सकती है। सरकारी स्तर पर मूर्ति के संरक्षण की प्रक्रिया को लेकर प्रशासन की गतिविधियां तेज हो गई हैं। मूर्ति के मिलने की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों में उत्साह और उमंग का माहौल है। ग्रामीणों की मांग है कि जिस स्थान पर मूर्ति मिली है, वहीं एक मंदिर का निर्माण किया जाए। हालांकि, पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का इस मांग को लेकर अलग मत है। प्रख्यात प्रोफेसर एवं शोधकर्ता डॉ. अनिरुद्ध मैत्र ने कहा कि उचित संरक्षण और वैज्ञानिक शोध के हित में इस मूर्ति को तत्काल हेरिटेज सोसाइटी के अंतर्गत लाना आवश्यक है।





