त्रिवेणी संयोग में महाशिवरात्रि, महाकाल भस्मारती का विशेष महत्व

इस वर्ष शिव योग, सोमवार और घनिष्ठा नक्षत्र के सुखद संयोग में महाशिवरात्रि पर्व 7 मार्च को मनाया जाएगा। यह त्रिवेणी संयोग 54 साल बाद बना है। इसके चलते पर्व पर भगवान शिव की पूजा का खास महत्व बन रहा है।

इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिष पं. श्यामजी बापू के अनुसार चतुर्दशी तिथि सोमवार को दोपहर 1.20 पर लगेगी जो दूसरे दिन 8 मार्च को सुबह 10.33 तक रहेगी। चतुर्दशी रात्रि के समय सोमवार को रहेगी। अतः इसी दिन महाशिवरात्रि मनाना शास्त्र सम्मत है।

सोमवार को शिवयोग रात 8.18 बजे तक रहेगा। घनिष्ठा नक्षत्र भी दिवस पर्यंत रहेगा। चार साल बाद सोमवार को महाशिवरात्रि आई है। इससे उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर मेंं भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में उज्जैन के महाकालेश्वर भी शामिल हैं।

भगवान महाकाल की भस्मारती में शामिल होने देश-विदेश से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।भस्म आरती के बाद सुबह 6 बजे से दर्शनार्थियों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। आइये जानते हैं क्या है भस्मारती का महत्व।

दरअसल भगवान महाकाल के दर्शनों और भस्मारती का अपना विशिष्ट महत्व है। मान्यता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से भक्त को अकाल मृत्यु और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

धर्मग्रंथों में तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विविध स्वरूप में महिमा का बखान किया गया है। इसे पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग बताया गया है।

विद्वानों का मत है कि भगवान महाकाल का ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी है। दक्षिण दिशा का स्वामी यमराज को बताया गया है और महाकाल को पृथ्वी के अधिपति के रूप में भी जाना जाता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्‍बावाला के अनुसार अवंतिकानाथ का सनातन धर्म परंपरा में विशिष्ट महत्व है। नाथ संप्रदाय और हिंदू संप्रदाय में ब्रह्म मुहूूर्त में ही भस्मारती का महत्व है। इसी के आधार पर अलसुबह भस्मारती की जाती है। नाभि केंद्र में बसे होने से भी इस मंदिर का विशेष महत्व बताया गया है।

पंडित डब्बावाला के अनुसार यही कारण है कि भस्‍मारती के लिए भक्तों में अधिक उत्साह और श्रद्धा देखी जाती है। उन्होंने बताया कि भस्‍मारती में शामिल होना किसी अलौकिक अनुभव से कम नहीं है। भस्मारती की प्रक्रिया और उसकी आभा शब्दों से परे है। कहते हैं भस्मारती में शामिल होने से जहां भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है वहीं उन्हें मानसिक शांति का आभास भी होता है। गृह बाधाएं भी इससे दूर होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में भस्मारती के दौरान दसाें दिशाओं की ऊर्जा और जागृति का अहसास भी महसूस किया जाता है।

 

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