त्योहार कोई भी हो, उत्सव कोई भी हो, गेंदे के फूलों का अपना महत्व है। केसरिया और हल्के पीले गेंदे के फूल किसी भी सजावट में रौनक ला देते हैं। जानिए इसके महत्व के बारे में –
गेंदे का रंग केसरिया है। यह रंग विजय, हर्ष और उल्लास का प्रतिनिधित्व करता है। इस फूल का धार्मिक महत्व भी अन्य फूलों से ज्यादा है। यूं तो गुलाब तथा चमेली के साथ और भी अन्य कई प्रकार के सुगंधित फूल धरती पर मौजूद हैं तब भी गेंदे के फूल का रंग शुभ का प्रतीक माना जाता है। इनके चटख रंग देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। केसरिया मिश्रित पीला या लाल मिश्रित पीला दोनों ही रंग पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं अत: प्रकृति प्रदत्त यह उपहार पर्व के प्रति स्नेह, सम्मान और प्रसन्नता दर्शाते हैं।
2. इसका अपना अलग धार्मिक महत्व भी है। अत: विजय पर्व पर गेंदे को सजाने और पूजा में चढ़ाने का महत्व है। इसे सूर्य का प्रतीक भी माना गया है। प्राचीन ग्रंथों में यह फूल सुंदरता और ऊर्जा का प्रतीक भी माना गया है। ये फूल शब्दों के बिना ही विजय पर्व के प्रति प्रसन्नता जाहिर कर देते हैं।
3. यह दिव्य शक्तियों के साथ सत्य का प्रतीक माना गया है। इसके लाल मिश्रित पीले रंग को भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक माना है। इसकी गंध सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूरकर तनाव को कम करती है। यह सामान्यत: वातावरण को शांति प्रदान करने वाला होता है।
4. इसके अंदर कैंसर जैसी घातक बीमारियों से दूर रखने का गुण होते हैं। यह सजावटी फूल प्राकृतिक रूप से कीट-पतंगों के साथ मच्छरों को भी दूर रखने में सहायता प्रदान करता है। रिसर्च से पता चला है कि इसके अंदर कान के संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है। यह प्राकृतिक रूप से एंटीसेप्टिक भी है।
5. दशहरा आते ही गेंदे के भाव आसमान छूने लगते हैं। इसे मेरीगोल्ड भी कहते हैं परंतु संपूर्ण भारत में यह गेंदे के नाम से जाना जाता है। इसे संस्कृत में स्थूलपुष्प के नाम से जाना जाता है।
गेंदे के फूलों को सांगली, सातारा और बैंगलोर से विशेष रूप से मंगवाया जाता है। दशहरे से लेकर दिवाली तक गेंदे की बिक्री करोड़ों में होती है। घर में खुशनुमा माहौल बनाने वाले गेंदे की मांग हर तरफ दिखाई देती है।
(साभार – वेब दुनिया)