Tuesday, December 16, 2025
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तीन साल में सीएपीएफ में 438 आत्महत्याएं, 7 सहकर्मियों की हत्या

– 2014 से अब तक 23 हजार से अधिक जवानों का इस्तीफा
नयी दिल्ली। पिछले तीन वर्षों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ), असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में 438 आत्महत्याओं और सात सहकर्मियों की हत्या की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह जानकारी मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी। केन्द्र सरकार के अनुसार आत्महत्या के मामलों में 2023 में 157, 2024 में 148 और 2025 में 133 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि सहकर्मियों की हत्या के दो मामले 2023 में, एक मामला 2024 में और चार मामले 2025 में सामने आए। बलवार आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों की अवधि में सबसे अधिक 159 आत्महत्याएं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में दर्ज की गईं। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 120 और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में 60 मामलों की रिपोर्ट हुई। वहीं, असम राइफल्स में 28, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में 35, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में 32 और एनएसजी में चार आत्महत्याएं दर्ज की गईं।
सहकर्मियों की हत्या की घटनाओं में असम राइफल्स और सीआरपीएफ में दो-दो, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी में एक-एक मामला दर्ज हुआ, जबकि सीआईएसएफ और एनएसजी में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। सरकार ने यह भी बताया कि वर्ष 2014 से अब तक सीएपीएफ, असम राइफल्स और एनएसजी के कुल 23,360 कर्मियों ने सेवा से इस्तीफा दिया है। इनमें सर्वाधिक 7,493 जवान बीएसएफ से, 7,456 सीआरपीएफ से और 4,137 सीआईएसएफ से शामिल हैं। कार्य घंटों और अवकाश से जुड़े सवालों के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में सीएपीएफ में आठ घंटे की शिफ्ट में कार्य होता है, हालांकि परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार इसमें बदलाव हो सकता है। उन्होंने बताया कि फील्ड में तैनात कर्मियों के लिए सालाना 75 दिन के अवकाश का प्रावधान है, जिसमें 60 दिन का अर्जित अवकाश और 15 दिन का आकस्मिक अवकाश शामिल है। जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए 30 दिन के अर्जित अवकाश और 8 दिन के आकस्मिक अवकाश का प्रावधान है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर सरकार ने कहा कि सीएपीएफ कर्मियों को बलों के अस्पतालों, समेकित अस्पतालों और विशेष मनोरोग सेवाओं के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही तनाव प्रबंधन, योग और ध्यान जैसे कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किए जा रहे हैं।

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