-भारत को मिलेगा लाभ
बीजिंग । अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वॉर ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। अब इस टैरिफ जंग का एक नया मोड़ सामने आया है। चीन ने अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग के जेट खरीदने से इनकार कर दिया है। इससे बोइंग को बड़ा झटका लगा है। हालांकि भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एयर इंडिया सहित भारतीय विमानन कंपनियां इन बोइंग जेट्स को खरीदने की दौड़ में शामिल हो सकती हैं। यह कदम भारत के विमानन क्षेत्र को मजबूती दे सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में चीनी आयात पर 145 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया था। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाए। इस टकराव का असर बोइंग पर पड़ा। दरअसल, चीन ने अपनी एयरलाइंस को बोइंग के 737 मैक्स जेट्स की डिलीवरी लेने से मना कर दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपनी एयरलाइंस को अमेरिकी विमान-संबंधी उपकरण और पुर्जों की खरीद रोकने का भी निर्देश दिया है। इससे यह हुआ कि शियामेन एयरलाइंस के लिए बनाया गया एक 737 मैक्स जेट, जो चीन के झोउशान सेंटर में डिलीवरी के लिए तैयार था, 19 अप्रैल को सिएटल के बोइंग फील्ड में वापस लौट आया। इस जेट की कीमत करीब 55 मिलियन डॉलर आंकी गई है। बोइंग की उम्मीदें चीनी बाजार पर टिकी थीं, जो अगले दो दशकों में वैश्विक विमान मांग का 20 प्रतिशत हिस्सा हो सकता है। लेकिन टैरिफ वॉर ने इस उम्मीद को करारा झटका दिया है। वहीं भारत इस स्थिति का फायदा उठाने की स्थिति में है। एक्स पर हालिया पोस्ट्स के अनुसार, एयर इंडिया बोइंग के इन रिजेक्टेड जेट्स को खरीदने पर विचार कर रही है। यह सौदा न केवल भारत के विमानन क्षेत्र को सस्ते दामों पर आधुनिक विमान उपलब्ध कराएगा, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। भारत पहले से ही एपल जैसी कंपनियों के लिए विनिर्माण केंद्र बन रहा है, और अब विमानन क्षेत्र में यह अवसर भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।