Wednesday, September 3, 2025
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टीआरएफ को विदेशों से मिला फंड : एनआईए

-एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर कसा शिकंजा
नयी दिल्ली । अमेरिका ने हाल ही में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को एक विदेशी आतंकवादी संगठन और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी इकाई घोषित किया है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि इस कदम से उसकी आतंकी रणनीति का पर्दाफाश हो गया। द रेजिस्टेंस फ्रंट, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक अंग है। वास्तव में, इसे जम्मू-कश्मीर के एक स्थानीय संगठन के रूप में गठित और प्रचारित किया गया था। जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा, दोनों को एक तरह से नकारने का मौका देना था। इसका उद्देश्य कश्मीर में चल रही गड़बड़ी को स्थानीय स्तर पर दिखाना था। पाकिस्तान चाहता था कि आतंकवादी हमले जारी रहें और यह भी सुनिश्चित हो कि वह वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की जांच के दायरे में न आए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने रेजिस्टेंस फ्रंट की गतिविधियों की पड़ताल की। उस आधार पर कहा जा रहा है कि पाकिस्तान एफएटीएफ से बचने के लिए इस छद्म संगठन का इस्तेमाल नहीं कर सकता। रेजिस्टेंस फ्रंट का जम्मू-कश्मीर में एक गहरा नेटवर्क है। इसके स्थानीय लोग, जो पाकिस्तान के इशारे पर, इस आतंकवादी संगठन की गतिविधियों को चलाने के लिए धन मुहैया कराने हेतु खाड़ी और मलेशिया के लोगों के संपर्क में हैं। जांच ​​के दौरान, मलेशिया निवासी सज्जाद अहमद मीर का नाम सामने आया है। एक संदिग्ध, यासिर हयात, के फोन कॉल्स से पता चला है कि वह धन की व्यवस्था के लिए मीर के संपर्क में था। हयात ने धन की व्यवस्था के लिए कई बार मलेशिया की यात्राएं की थीं। अब तक सामने आई जानकारी से पता चलता है कि अपने मलेशियाई संपर्क की मदद से उसने द रेजिस्टेंस फ्रंट के लिए 9 लाख रुपये जुटाए थे। यह पैसा संगठन की गतिविधियों को चलाने के लिए शफात वानी नाम के एक अन्य कार्यकर्ता को दिया गया था। कहा जाता है कि वानी, जो टीआरएफ का एक प्रमुख कार्यकर्ता है, मलेशिया भी गया था। उसने बताया कि वह एक विश्वविद्यालय के सम्मेलन में भाग लेने गया था, और इसी बहाने उस देश में प्रवेश किया था। हालांकि, विश्वविद्यालय ने इस यात्रा को प्रायोजित नहीं किया था। एनआईए को यह भी पता चला है कि मीर के संपर्क में रहने के अलावा, हयात दो पाकिस्तानियों के भी संपर्क में था। उसकी गतिविधियां धन जुटाने के लिए थीं, और जांच से पता चलता है कि उसका काम विदेशी कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहना और आतंकवादी संगठन के लिए धन जुटाना था। एनआईए के पास टीआरएफ के संचालन के बारे में पर्याप्त जानकारी है, लेकिन कितना धन मुहैया कराया गया इसका पता लगाना जांच के लिए महत्वपूर्ण है। 13 अगस्त को, एनआईए ने कहा था कि उसने धन के एक विदेशी स्रोत का पता लगाया है जिसकी गहन जांच की जा रही है। हयात के फोन पर 463 संपर्क हैं जिनकी एनआईए गहन पड़ताल कर रही है। कई मौकों पर पाकिस्तान और मलेशिया को कॉल किए गए हैं। इन सभी नंबरों की जांच की जा रही है, और जांचकर्ताओं का कहना है कि द रेजिस्टेंस फ्रंट के फंडिंग नेटवर्क का पता लगाने के लिए यह बेहद जरूरी है।
ये खुलासा इस नेटवर्क का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और ये भारत को एफएटीएफ के समक्ष पाकिस्तान को बेनकाब करने में मदद करेंगे। भारत टेरर फंडिंग को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ केस बना रहा है। उसे वापस ग्रे लिस्ट में शामिल करने पर भारत जोर दे रहा है। द रेजिस्टेंस फ्रंट का गठन 2019 में कम होते हिज्बुल मुजाहिदीन को रिप्लेस करने के लिए किया गया था। माना गया था कि इलाके में उसका प्रभाव कम हो रहा है और स्थानीय आतंकी गतिविधियों को एक नई पहचान देने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। इसका गठन लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों पर पर्दा डालने के लिए किया गया। हमलों को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के बजाय स्वदेशी प्रतिरोध के तौर पर दिखाने की कोशिश की गई। यह वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप था, जिसे वैश्विक समुदाय को गुमराह करने और एफएटीएफ जैसी संस्थाओं के दबाव को कम करने के लिए डिजाइन किया गया था।

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