नयी दिल्ली : बदलते वक्त के साथ खेती-किसानी के क्षेत्रों में भी आधुनिक तकनीक एवं पद्धति की जरूरत महसूस हो रही है। इन्हीं बदलाव पर अमल करते हुए राजस्थान के जालोर के योगेश जोशी ने किसानों को मदद करने का बीड़ा उठाया था। आज योगेश अपने 50 करोड़ रुपये के ऑर्गेनिक खेती व्यवसाय के ज़रिये हजारों किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। 1.5 लाख रुपये के निवेश से शुरू हुई योगेश की कंपनी अब 50 से अधिक स्टाफ की मदद से 50 करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार कर रही है।
कृषि विज्ञान में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद योगेश जोशी ने जैविक खेती में डिप्लोमा के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साल 2006 में 8000 रुपये महीने की नौकरी के साथ योगेश ने अपने करियर की शुरुआत की। करीब चार साल तक काम करने के बावजूद योगेश का वेतन केवल 12,000 रुपये महीने पर ही पहुंच पाया, इससे योगेश निराश हो गए और साल 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ जैविक खेती का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया।
योगेश ने बताया कि जैविक खेती शुरू करने के पीछे उनका मकसद लोगों को मधुमेह, कैंसर जैसी बीमारियों से सुरक्षा दिलाना भी है। पश्चिमी देशों में लोग पहले ही जैविक फल-सब्जियों का सेवन कर रहे हैं। भारत में इसका प्रचलन हाल ही में शुरू हुआ है, कोरोना महामारी के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के उद्देश्य से लोग जैविक भोजन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
योगेश किसानों को बेहतर दाम देकर जैविक फल-सब्जियां खरीदते और फिर उन्हें बड़ी कंपनियों को बेचते जो महंगे भाव पर जैविक खाद्य पदार्थ खरीदना चाहती हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने सात किसानों के साथ मिलकर जीरे की जैविक खेती शुरू की। व्यावहारिक अनुभव की कमी के कारण योगेश ने खेत की मिट्टी में मिले रसायन को खत्म करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और इस वजह से उनकी पहली फसल बेकार हो गई।
सही तरीका सीखा
तीन साल बाद योगेश ने किसानों के खेत को रसायन से पूरी तरह मुक्त करने में सफलता हासिल की। जोशी के पास ऑर्गेनिक खेती के प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने दोस्तों की मदद ली और 1.5 लाख रुपये का निवेश करके काम शुरू किया।
10 साल में मिली कामयाबी
10 साल पहले शुरू हुई योगेश की एक छोटी शुरुआत बड़े संगठन का रूप ले चुकी है। योगेश की कंपनी रैपिड ऑर्गेनिक अब 3,000 से अधिक किसानों के साथ काम कर रही है। किसानों को बीज, प्रौद्योगिकी, जैविक उर्वरक और संपूर्ण सहायता प्रदान करती है। किसान जैविक उत्पाद उगाकर योगेश को देते हैं। वित्तीय समस्या से जूझ रहे किसानों को लोन भी मिलता है और फिर कंपनी उनसे उचित मूल्य पर फसल भी खरीदती है।
विदेश में जाती है उपज
योगेश ने अब तक 10,000 किसानों को जैविक खेती प्रमाणपत्र हासिल करने में भी मदद की है। योगेश की कंपनी किसानों से 2-3 हजार टन जैविक फसल खरीदती है और उन्हें भारत और विदेशों में बेचती है। योगेश के जैविक खाद्य पदार्थ की बिक्री जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और अन्य देश में होती है।
(साभार – नवभारत टाइम्स)