जलवायु परिवर्तन से देश में 280 प्रजातियों के जीव व पौधे विलुप्त

‘मुझे प्रकृति के अतिरिक्त किसी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं है। उसने मुझे कभी हारने नहीं दिया। किसी प्रकार की गंदगी फैलाना प्रकृति के साथ की जाने वाली हिंसा का ही एक रूप है।’ करीब 100 साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कही यह बातें अब सच साबित हो रही हैं। प्रकृति के प्रति क्रूरता का ही परिणाम है कि आज देश में 148 प्रजाति के जीव व 132 प्रजाति के पौधे विलुप्त हो गए हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनमें कुछ इतने महत्वपूर्ण पौधे हैं कि उनका इस्तेमाल औषधि बनाने के लिए हो रहा था। यह जानकारी पर्यावरणविद व नोएडा के सेक्टर 132 में रहने वाले रंजन तोमर की ओर से लगाई गई आरटीआइ के तहत केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले जैव विविधता प्राधिकरण से मिली है।
जैव विविधता प्राधिकरण ने ऐसे सभी पौधों व जीवों को संरक्षित श्रेणी में डालते हुए सूची को वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है। साथ ही केंद्रीय जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से सभी प्रदेश सरकारों को बचे हुए जीवों व पशुओं को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। पर्यावरणविद रंजन तोमर का कहना है कि हरियाली का दायरा घटने से जलवायु परिवर्तन हुआ। 280 प्रजाति में तमाम ऐसे जीव व पौधे थे, जो पर्यावरण को संतुलित रखने में मददगार थे। उन्होंने कहा कि संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे समझा है। इसी कारण वह स्वच्छता पर लगातार जोर दे रहे हैं। हम गांधीजी की 150वीं जयंती मनाने जा रहे हैं। अगर हम स्वच्छता का संकल्प लेकर विभिन्न जीव व पौधों को विलुप्त होने से बचा सकने में योगदान करें तो यही गांधीजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

सरकार ने स्थापित किए रिसर्च सेंटर
केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ महेश शर्मा के अनुसार विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार बेहद गंभीर है। हम लोग मिशन बनाकर इसे रोकने में लगे हैं। जैसे सेव टाइगर नाम से अभियान चला रहे हैं। विभिन्न रिसर्च सेंटरों को स्थापित किया जा रहा है। इससे विलुप्त होते पौधों व जीवों को बचाने पर काम हो रहा है। प्रधानमंत्री स्वच्छता पर आंदोलन चला रहे हैं, जिससे वायुमंडल को स्वच्छ किया जा सके व जीव तथा पौधों को विलुप्त होने से बचाया जा सके। पौधे व जीव विलुप्त होने के मामले में तमिलनाडु की स्थिति सबसे खराब है। वहां सबसे अधिक 23 पौधों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। 6 प्रजाति के पशु भी विलुप्त हो चुके हैं। इसमें पेंथरा टाइगर भी है।

(साभार – दैनिक जागरण)

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