अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने 40 साल में इकट्ठा की गईं 70 हजार से अधिक प्रवासी चिड़ियों की 52 प्रजातियों पर रिसर्च की
चिड़ियों की पैरों की लम्बाई 2.4 फीसदी तक घटी और पंखों की लंबाई 1.3 फीसदी तक बढ़ी
दुनियाभर में चिड़ियों के शरीर का आकार बदल रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण इनका शरीर सिकुड़ रहा है सिर्फ पंख बढ़ रहे हैं। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्च प्रवासी चिड़ियों पर की गई है। उत्तरी अमेरिका प्रवासी घर की 52 प्रजातियों की 70,716 चिड़ियों पर हुई शोध में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। पिछले 40 सालों में इकट्ठा की गईं इन चिड़ियों का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च से यह भी जानने की कोशिश की गई है जीव कैसे जलवायु परिवर्तन का सामना कर पाएंगे।
पैर की हड्डी, लम्बाई नापने का सबसे बेहतर मानक
1978 से लेकर 2016 तक इकट्ठा की गई चिड़ियों की प्रजाति की लंबाई नापी गई। इनकी लम्बाई का सबसे बड़ा मानक होती है पैर की हड़डी। चिड़ियों की पैरों की लम्बाई 2.4 फीसदी तक घटी है और पंखों की लंबाई 1.3 फीसदी तक बढ़ी है। शोध के मुताबिक, तापमान बढ़ने से शरीर का आकार सिकुड़ रहा है और पंखों का साइज बढ़ रहा है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ब्रिएन वीक्स के मुताबिक, हमने पाया कि शोध में शामिल चिड़ियों की हर प्रजाति सिकुड़ रही है। हर प्रजाति एक-दूसरे से काफी अलग है लेकिन उन पर जलवायु परिवर्तन का असर एक ही तरह से दिख रहा है। परिणाम काफी चौकने वाले हैं।
ब्रिएन कहते हैं कि चिड़ियों को तीन तरह से जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है। पहला, जब एक चिड़िया पैदा होती है, दूसरा, जब वह दूसरे देश में जाती है और तीसरा, शरीर में बदलाव जैसा वर्तमान रिसर्च में सामने आया है। यह पता लगाना बेहद कठिन है कैसे तीनों प्रभावों को ये पक्षी किस हद तक झेल पाएंगे। चिड़ियों के लिए माइग्रेशन उनके जीवन का अहम हिस्सा है लेकिन शरीर का आकार छोटा होने का मतलब है उड़ने के लिए ऊर्जा की कमी होना। लंबी यात्रा करने के लिए इन्हें ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है जो पूरी नहीं मिल पा रही। दुनिया में बढ़ते तापमान का चिड़ियों के सिकुड़ने से क्या सम्बंध है, वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं।
शिकागो के फील्ड म्यूजियम में पक्षी विशेषज्ञ ब्रिएन वीक्स कहते हैं, चिड़ियों की बॉडी ज्यादातर ऊंची बिल्डिंग के किनारों में इकट्ठा की गई है। ये ज्यादातर रात में प्रवास यानी माइग्रेशन पर निकलती हैं लेकिन बिल्डिंग से निकलते कृत्रिम प्रकाश को देखकर वह तेजी से इस ओर आकर्षित होती हैं और लड़ने से मौत हो जाती है। हजारों चिड़ियों की मौत सिर्फ बिल्डिंग से टकराने से भी हो रही है। 1978 में ब्रिएन में बिल्डिंग के निकलते इस ओर ध्यान दिया था। धीरे-धीरे इन्हें इकट्ठा किया गया है तो रिसर्च की शुरुआत हुई।
तस्वीर साभार : फील्ड म्यूजियम