घरेलू हिंसा से उबरकर कश्मीर की परवीन बनीं मिसेज इंडिया इंटरनेशनल

श्रीनगर : परवीन भारत की पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं जिन्होंने प्रतिष्ठित मिसेज इंडिया इंटरनेशनल का खिताब अपने नाम किया है। इस प्रतियोगिता का आयोजन हाल ही में मलेशिया में किया गया। नुसरत पवीन दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के यारीपोरा खानपोरा गांव की रहने वाली हैं। नुसरत के तीन बच्चे हैं। उनकी असफल शादी ने उनकी जिंदगी ग़मों से भर दी थी इससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
36 वर्षीय नुसरत परवीन ने अपने दुखों को प्रेरणा में बदलते हुए वह कर दिखाया है जो आजतक किसी भारतीय मुस्लिम महिला ने किया ही नहीं था। परवीन भारत की पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं जिन्होंने प्रतिष्ठित मिसेज इंडिया इंटरनेशनल का खिताब अपने नाम किया है। इस प्रतियोगिता का आयोजन हाल ही में मलेशिया में किया गया। कश्मीर के एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में नुसरत परवीन ने कहा, ‘मेरा दर्द काफी गहरा और क्रूर था। मैंने दुखों को अकेले सहा और किसी तरह उबर कर बाहर आई। मैंने अपने बीते कल को पीछे छोड़ने का फैसला किया और तब मेरे भीतर कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ।’ नुसरत पवीन दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के यारीपोरा खानपोरा गांव की रहने वाली हैं। नुसरत के तीन बच्चे हैं। उनकी असफल शादी ने उनकी जिंदगी ग़मों से भर दी थी इससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। हालांकि अच्छी बात ये है कि अब वह इन सह से बाहर निकल आई हैं और आज ऐसा मुकाम हासिल किया है जिससे उनका नाम एक नए फलक पर पहुंच चुका है। नुसरत बताती हैं, ‘मैंने महाराष्ट्र के एक लड़के से प्रेम विवाह किया था जो कि पेशे से आर्किटेक्ट था। लेकिन जैसे-जैसे वह अपने करियर में सफल होता गया वैसे-वैसे वह मुझसे भी दूर होता गया।’
नुसरत ने कहा, ‘एक आम भारतीय स्त्री की तरह मैंने उसकी हर बात मानी और किसी तरह रिश्ते को बचा कर रखा। लेकिन शायद मेरी किस्मत में ही ऐसा होना लिखा था। मैं किसी तरह अपने बच्चों के भविष्य के लिए उसके साथ रहा करती थी।’ कुछ ही दिन पहले नुसरत को उनके पति की दूसरी शादी के बारे में मालूम चला तो उनके दिल पर मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। वह चौंक गईं और टूट भी गईं। लेकिन उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की योजना बनाई। मिसेज इंडिया इंटरनेशनल प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के बाद नुसरत ने कहा, ‘मैंने जजों को बताया कि मैं एक हाउसवाइफ हूं और तीन बच्चों की मां भी हूं। अभी तक मैं घर की चाहारदीवारी में कैद थी और बच्चों की देखभाल करती थी, लेकिन आज मैं वहां हूं जहां पहुंचने की कभी कल्पना भी नहीं की थी। नुसरत अंग्रेजी में बहुत तेज नहीं हैं इसलिए उन्होंने जजों से हिंदी में बात करने का आग्रह किया। अपनी सीधी बात से वह जजों को प्रभावित कर पाईं और आज वह इस मुकाम को भी हासिल कर पाईं।
(साभार योर स्टोरी)

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