घरेलू हिंसा : समस्या को समस्या न मानना ही सबसे बड़ी समस्या

पीहू पापिया
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ

जिन्दगी को बेहतर ढंग से जीने की जो शर्त है वह भारी-भरकम है। अतः किसी से निभती है किसी से नहीं निभती। अमूमन तीन तरह के रवैये वाले लोग होते हैं। पहले वो लोग जो सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं। दूसरे वो लोग जो अपनी समस्याओं से उभरना चाहते हैं। एक तीसरा प्रकार भी है। इनमें वो लोग आते हैं जो समस्या को समस्या मानते नहीं बल्कि जिन्दगी का हिस्सा मानकर समझौते और किस्मत के झूले में झलते हुए पूरी जिन्दगी काट लेते हैं। यहीं से सबसे बड़ी समस्या की आगाज़ होता है। अगर लोग समस्या को समस्या मानेंगे ही नहीं तो, न तो उससे निकलने की कोशिश करेंगे और न ही कभी उससे निकल पायेंगे। ज्यादातर लोग इसी तीसरी श्रेणी में आते हैं। चाहे स्त्री हो या पुरुष, उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न होता रहता है और वे इसका विरोध तक नहीं कर पाते निकलना तो दूर की बात है।
ऐसी समस्याओं से निकलने का पहला कदम यही है कि अपने जीवन और अपने आप पर नज़र डालिए कि जो कुछ आपके जीवन में चल रहा है वह आपको गवारा अथवा मंजूर है भी या नहीं। अगर आपको किसी भी स्थिति या व्यक्ति से असहजता महसूस होती हैं, आपकी सहनशीलता को लांघ रही है, आप स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो उस अनुभूति की उपेक्षा न करें। खुद से या किसी भी व्यक्ति (आपको लगता हो जो आपकी स्थिति और आपको समझेगा) की सहायता लें और सहजता को पाने की ओर कदम उठायें। यह पहला कदम ही है जो सबसे भारी होता है। यह उठा लिया तो आगे का रास्ता दिखने लगता है। यह पहला कदम उठाना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। यह पहला कदम है समस्या की पहचान करने का कदम। पहचान होगी तो ही उसका समाधान निकालने की मूहीम शुरू हो पायेगी। ऐसी स्थिति में खुद पर विश्वास और धैर्य ही सबसे बड़ा सम्बल होता है। इस दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं। नज़रिया बदलिए रास्ते खुद ब खुद मिल जायेंगे। आप सभी अपनी किस्मत खुद लिखने के काबिल है। आदमी असफल नहीं होता बल्कि काम करने के तरिके में सफलता-असफलता होती है। तरीके बदले और सफलता पाये। और जब तक सफलता का मूँह न देख लें तरिके बदलते रहें। कभी हार न मानने के जज्बे से ही आदमी हर परिस्थिति का केवल डटकर मुकाबला ही नहीं बल्कि उससे उभर जाने की भी क्षमता रखता है।
बदनसीबी यह भी है कि दुनिया अक्सर ताकतवर के साथ खड़ी होती है और कमज़ोर लोग छितरा जाते हैं। इसलिए खुद को कमज़ोर नहीं समझकर अपनी अंदर की ताकत को जगाने की जरूरत है। हमारे अंदर ही हमारे सारे सवालों का हल छिपा हुआ है जरूरत है बस तलाशने की।

शुभजिता

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