ग्लोबल वही हो सकता है जो संवेदनशील हो

कोलकाता  : पंजाबी विद्वान और आनंदपुर साहिब के ‘निशान-ए-खालसा’ से सम्मानित डॉ.जसपाल सिंह ने आज भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘गुरुग्रंथ साहिब’ एक आध्यात्मिक संदेश होते हुए भी यह संदेश देते हैं कि कपड़े पर खून की एक बूंद भी छींटा हो तो वह गंदा हो जाता है, वर्तमान समय में हर तरफ इतना खून खराबा हो रहा है, हम आज की जिंदगी को सुंदर कैसे कह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ बड़े संवेदनशील है और उनका संदेश ग्लोबल है। दरअसल ग्लोबल वही हो सकता है जो संवेदनशील हो। ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में 6 गुरुओं की वाणी के अलावा ऐसे 15 भक्तों के पद हैं जो विभिन्न धर्मों, जातियों और विभिन्न राज्यों के हैं। सिख धर्म एक उदारवादी धर्म है। इसमें ब्राह्मण रामानंद जिन्हें मंदिर से निकाल दिया गया था उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब में उच्च स्थान मिला है। वहीं बंगाल के जयदेव हैं तो दलित रैदास भी हैं। यह धर्म सर्वसमावेशी और मानवतावादी है।
कार्यक्रम में सबसे पहले पूर्व कर्नल नरेंद्र सिंह ने रामानंद और शेख फरीद के पद गाकर सांप्रदायिक सौहार्द और प्रीति का संदेश दिया। डॉ.कसुम खेमानी ने पंजाबी विश्‍वविद्यालय के पूर्व-कुलपति डॉ.जसपाल सिंह का अभिनंदन करते हुए कहा कि ‘गुरुग्रंथ साहिब’ की सभा में न कोई बड़ा है और न छोटा है। सभी मनुष्य बराबर है।
परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने डॉ.जसपाल को शाल और स्मृति चिह्न देकर उनका सम्मान किया। मंत्री बिमला पोद्दार ने सभी पंजाबी विद्वानों डॉ.जसपाल सिंह, तंजीत सिंह, नरिन्दर सिंह, गुरुशरण सिंह एवं सुनीता अहलुवालिया पुष्प स्तवक देकर अभिनंदन एवं सम्मान किया। धन्यवाद ज्ञापन नंदलाल शाह ने दिया।
प्रेषक : सुशील कान्ति

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