-
रेखा श्रीवास्तव
- गुलमोहर
खिड़की से झांकता
गुलमोहर का पेड़
फूलों से लदा है
तपती गर्मी में भी
झूम झूम कर
मुस्कुराता है
उसकी मुस्कुराहट देख
गर्मी की उमस, तड़प
कम होती जा रही है
कल तक यहाँ केवल
खाली डाली थी
कौओं का कावँ-कावँ था
कौआ भी परेशान था
पेड़ की डाल पर बैठ
वह चीखता था
कुछ कहना चाहता था
पर अब जब यह पेड़
फूलों से लद गया है
नारंगी रंगों से भर गया है
कौआ भी मुस्कुरा रहा है
इस डाल से उस डाल पर
उछल रहा है
उसके मन में भी उमंग है
खुशी है,
फूल के खिलने का
रंग भर जाने का
यह फूल हमें
सिखाती है
गर्मी में भी मुस्कुराना
गर्मी में भी खिलना
जहाँ भयंकर गर्मी में सूख जाते हैं
पेड़ और मुरझा जाते हैं फूल
वहीं गुलमोहर का फूल
इस अप्रैल-महीने की गरमी
में खिल कर हमारे मन, आँखों को
राहत दे रही है
नाजुक सी फूल होने के
बावजूद गर्मी में मुस्कुरा रही है
झूम रही है और हमें भी
मुस्कुराना और झूमने की
सीख दे रही है
और कह रही है कि
घबराओ मत
दुख के बाद खुशी
गर्मी के बाद बारिश
रात के बाद दिन
आयेगा ही आयेगा।
- (कवियत्री वरिष्ठ पत्रकार हैं)