कोलकाता । रंगमंच पर किताबें लिखना आसान काम नहीं है और अनुवाद तो उससे भी कठिन है। वहीं महज 16 साल की उम्र में गुंजन द्वारा मैकबेट्ट नाटक का हिन्दी में किया गया अनुवाद अब पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो गया है। गुंजन अब 21 साल की है। 1 सितम्बर 2001, कलकत्ता में जन्मी गुंजन मूलतः वाणिज्य विषय की विद्यार्थी है मगर उसे रंग-संस्कार और साहित्य की समझ विरासत में मिली है। अँग्रेज़ी साहित्य से गुंजन का विशेष लगाव है। अँग्रेज़ी में कविताएँ भी लिखती हैं। साथ ही घुड़सवारी का भी शौक रखती हैं। पाँच वर्ष पूर्व 16 वर्ष की आयु में ही गुंजन ने अपने पहले प्रयास में यूजीन आयनेस्को के एक कठिन नाटक को अनुवाद के लिए चुना है। आयनेस्को को लोग अधिकतर राइनासर्स से ही जोड़ते हैं। जबकि उन्होंने अनेक सशक्त नाटकों की रचना की है और उन्हीं में से एक है मैकबेट्ट जो स्वयं को शेक्सपियर की परंपरा से भी जोड़ता है और आधुनिक रंग-परंपरा का निर्माण भी करता है। मैकबेट्ट जैसे नाटक को हिन्दी में लाकर गुंजन ने हिन्दी नाट्य-संपदा को समृद्ध किया। निश्चित ही ये नाटक रंग प्रेमियों के लिए एक चुनौती है। उसके 21वें जन्मदिन पर प्रलेक प्रकाशन की ओर से किताब का कवर पेज रिलीज किया गया है। 20 सितम्बर को अकादमी ऑफ फाइन आर्ट्स में लिटिल थेस्पियन के स्थापना दिवस के अवसर पर इस किताब का लोकार्पण है।