गिरीश रस्तोगी, नरेंद्र मोहन और कृष्ण बलदेव वैद पर केन्द्रित रहा रंग अड्डा

कोलकाता । लिटिल थेस्पियन द्वारा आयोजित 15 वां रंग अड्डा 26 जुलाई को सुजाता देवी विद्या मंदिर के प्रांगण में सफलतापूर्ण संपन्न हुआ। यह रंग अड्डा रंगमंच की दृष्टि को स्पष्ट करते हुए नाटक के विभिन्न तत्वों को समझने – जानने का अवसर प्रदान करता है। रंग अड्डे का उद्देश्य रंगमंच की परंपरा के विकास के माध्यम से विद्यार्थियों को रंगमंच जोड़ना है जो अपनी गति से लगातार आगे बढ़ रहा है। रंग अड्डा का आयोजित होना , लिटिल थेस्पियन के संस्थापक अज़हर आलम और उमा झुनझुनवाला के रंगमंचीय सरोकार को विस्तारित करता है।
इस रंग अड्डे में तीन नाटककारों को केंद्रित किया गया है – गिरीश रस्तोगी, नरेंद्र मोहन और कृष्ण बलदेव वैद। गिरीश रस्तोगी की नाटक में रंगमंचीय दृष्टि को पार्वती रघुनंदन ने अपने आलेख के माध्यम से प्रस्तुत किया तथा नरेंद्र मोहन के नाटक में मौजूद विभिन्न आयामों को प्रियंका सिंह ने अपने आलेख के द्वारा उजागर किया। इसी कड़ी में कृष्ण बलदेव वैद का नाटक ‘ हमारी बुढ़िया ‘ का अभिनयात्मक पाठ हुआ , जिसमें आज की युवा पीढ़ी नए जमाने की आड़ में अपनी सभ्यता का हनन करती हुई नजर आती है , जिसे नाटककार ने बेतुकी बातों और तुकबंदी में बांधा है। इसका अभिनयात्मक पाठ सुभोदीप , राधा कुमारी ठाकुर ,मोहम्मद आसिफ़ अंसारी , संगीता व्यास तथा विशाल कुमार राउत के द्वारा प्रस्तुत हुआ।लिटिल थेस्पियन की निर्देशिका उमा झुनझुनवाला ने हमारी बुढ़िया नाटक के संदर्भ में कहती है कि यह एक प्रतीकात्मक नाटक है जिसमें बुढ़िया हमारी सभ्यता की प्रतीक है ,यह नाटक पूँजीवादी समाज पर करारा चोट करती है। आज के समय में यह नाटक और भी प्रासंगिक हो उठता है । यह नाटक जितना रोमांचित करता है उतना ही चुनौतीपूर्ण है। इस 15 वें रंग अड्डे का संचालन प्रियंका सिंह एवं इंतखाब वारसी के द्वारा संपन्न हुआ।

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