दंतेवाड़ा : साढ़े छह महीने की गर्भावस्था और हाथ में एके-47 लेकर नक्सलियों से भिड़ने जंगल में निकलने वाली महिला कमांडो सुनैना पटेल ने बेटी को जन्म दिया है। सुनैना अपनी तरह बेटी को भी मजबूत बनाना चाहती हैं। कहती हैं, ‘मेरा बेटा है, चाहती थी इस बार बेटी हो। दंतेश्वरी फाइटर्स में शामिल होने के बाद मैं गर्भवती हुई, मां दंतेश्वरी की कृपा से मुझे बेटी हुई है।’ एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव सहित अन्य अफसरों ने भी सुनैना को बधाई दी है। भास्कर ने 8 मार्च को महिला दिवस पर दंतेश्वरी कमांडो सुनैना की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। करीब डेढ़ महीने पहले सुनैना ने बच्ची को जन्म दिया था। फिलहाल वे अवकाश पर हैं।
सुनैना ने कहा, मेरा बेटा है, चाहती थी इस बार बेटी हो। गर्भवती होने के बाद भी गश्त पर जाना मेरा अपना निर्णय था। लोगों ने सवाल खड़े किए। मुझे इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहते हैं। मैं बेटी को भी अपनी तरह बनाना चाहती हूं। गर्भावस्था के बाद भी मैंने गश्त पर जाना नहीं छोड़ा, क्योंकि मैं टीम लीडर थी। साथ ही मेरे अंदर काम करने की इच्छाशक्ति भी थी।’ वहीं सुनैना की साथी कमांडोज ने कहा कि हम बिटिया को दंतेश्वरी फाइटर ही कहेंगे। उसका नाम तो दो महीने पहले ही रख लिया गया था।
गर्भवती होने के बावजूद सुनैना ने नक्सलियों से लड़ने का हौसला नहीं छोड़ा। भारी भरकम बोझ कंधों पर लिए नदी-नाले, जंगल, पहाड़ों को पार कर पैदल कई किमी चलकर नक्सल ऑपरेशन में शामिल होती रहीं। वे कहती हैं, ‘नक्सल ऑपरेशन टीम (डीआरजी टीम) गठित होने के करीब महीनेभर बाद मैं गर्भवती हो गई थी। मैंने इस बात की जानकारी अफसरों को इसलिए नहीं दी, क्योंकि मैं ऑपरेशन पर जाना चाहती थी। गर्भवती होने की जानकारी मिलने पर मुझे रोक दिया जाता।’ सुनैना ने अपने गर्भवती होने की जानकारी अफसरों को साढ़े 6 महीने तक नहीं दी। अफसरों को जब इसका पता चला तो उसे ऑपरेशन पर भेजना बंद कर दिया। इसके बाद ऑफिस कार्य की जिम्मेदारी दे दी गयी। सुनैना ने अपने गर्भवती होने की जानकारी अफसरो को साढ़े 6 महीने तक नहीं दी।
साढ़े 4 माह की गर्भावस्था में 45 दिन जंगल में रही
पोटाली में कैंप खोलना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। धुर नक्सली गांव में जब कैंप खुला तो यहां महिला डीआरजी को रखा गया था। यहां 45 दिनों तक सुनैना भी रहीं। उस समय साढ़े चार महीने की गर्भवती थी। पुलिस की बनाई शॉर्ट फिल्म ‘नयी सुबह का सूरज’ में सुनैना ने लीड रोल किया है। पोटाली में कैंप खोलना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले गांव में जब कैंप खुला तो यहां महिला डीआरजी की तैनाती हुई।
मई 2019 में किया गया था दंतेश्वरी फाइटर का गठन
दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने मई 2019 में दंतेवाड़ा में महिला डीआरजी की टीम बनाई। इसमें महिला पुलिसकर्मी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शामिल किया गया। इस टीम का ही नाम दंतेश्वरी देवी के नाम पर दंतेश्वरी फाइटर्स रखा गया। दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ का पहला जिला है, जहां डीआरजी में महिला कमांडो को शामिल किया गया है। टीम में अभी 60 महिला कमांडोज हैं, जो नक्सल ऑपरेशन पर जाती हैं। टीम लीडर डीएसपी शिल्पा साहू हैं।