नयी दिल्ली । गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को ‘नारी शक्ति’ की विशेष झलक देखने को मिली। इसमें ग्रामीण उद्योग, समुद्री क्षेत्र, रक्षा, विज्ञान से लेकर अंतरिक्ष तक विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया। इस भव्य परेड की थीम ‘विकसित भारत’ और ”भारत-लोकतंत्र की मातृका” थी। इसकी शुरुआत में एक संगीतमय समूह ‘आवाहन’ के साथ हुई। यह एक मनमोहक प्रदर्शन था, जिसमें देश के विभिन्न कोनों से आए भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की एक श्रृंखला शामिल थी। कुल 112 महिला कलाकारों के एक बैंड ने लोक वाद्ययंत्रों से लेकर आदिवासी वाद्ययंत्रों तक को बड़ी कुशलता से बजाया, जो महिलाओं की ताकत और कौशल का प्रतीक है। मणिपुर, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने अपनी झांकियों में विविध क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिकाएं प्रदर्शित कीं।
मणिपुर की झांकी में महिलाओं को नावों पर प्रसिद्ध लोकटक झील से कमल के डंठल इकट्ठा करते हुए और पारंपरिक ‘चरखों’ का उपयोग करके सूत बनाते हुए दिखाया गया। झांकी में एक प्राचीन बाजार ‘इमा कीथेल’ पर भी प्रकाश डाला गया था और इसने महिलाओं के नेतृत्व वाले वाणिज्य की स्थायी विरासत पर जोर दिया था।
मध्य प्रदेश की झांकी ने कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से राज्य की विकास प्रक्रिया में महिलाओं के जुड़ने का जश्न मनाया। आधुनिक सेवा क्षेत्रों, लघु उद्योगों और पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इसमें राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि में योगदान देने वाली महिला कलाकारों के चित्रण के साथ-साथ पहली महिला फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी को भी दिखाया गया। ओडिशा की झांकी ने हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डाला, जबकि छत्तीसगढ़ की झांकी ने बस्तर के आदिवासी समुदायों में महिलाओं के प्रभुत्व को प्रदर्शित किया।
राजस्थान की झांकी में महिलाओं के नेतृत्व वाले हस्तशिल्प उद्योगों के विकास को प्रदर्शित किया गया और प्रसिद्ध ‘घूमर’ नृत्य भी प्रदर्शित किया गया। झांकी में दर्शाया गया कि मीरा बाई की मूर्ति भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। हरियाणा की झांकी में सरकारी कार्यक्रम ”मेरा परिवार, मेरी पहचान” के माध्यम से महिला सशक्तीकरण पर प्रकाश डाला गया। इसमें डिजिटल इंडिया पहल के माध्यम से सरकारी योजनाओं तक पहुंच को प्रदर्शित किया गया। आंध्र प्रदेश ने अपनी झांकी का विषय स्कूली शिक्षा में बदलाव पर केंद्रित किया। लद्दाख की झांकी में भारतीय महिला आइस हॉकी टीम को प्रदर्शित किया गया, जिसमें लद्दाखी महिलाएं भी शामिल थीं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की झांकी ने रक्षा और अनुसंधान के मुख्य क्षेत्रों में महिला वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। इसमें एंटी-सैटेलाइट मिसाइल और तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल जैसी उपलब्धियां शामिल थीं। पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने महिला नाविकों की संख्या में वृद्धि और लाइटहाउस और क्रूज पर्यटन में प्रगति पर जोर देते हुए भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास का प्रदर्शन किया।
गणतंत्र दिवस परेड में सेना के तीनों अंगों की एक महिला टुकड़ी भी शामिल थी, जो आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में अभियान, सियाचिन ग्लेशियर और रेगिस्तान सहित विभिन्न इलाकों में उनकी असाधारण सेवा को दर्शाती है। सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं ने परेड में पहली बार एक पूर्ण महिला दल ने मार्च किया। मोटरसाइकिलों पर 265 महिलाओं ने विभिन्न साहसी करतबों के माध्यम से साहस, वीरता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया। उन्होंने योग सहित भारतीय मूल्यों और संस्कृति की ताकत का भी प्रदर्शन किया और एकता और समावेशिता का संदेश दिया। भारतीय नौसेना की झांकी में ”नारी शक्ति” को भी दर्शाया गया है। इस सैन्य बल द्वारा सभी भूमिकाओं और सभी रैंकों में महिलाओं का स्वागत करने की हाल में घोषणा की गई है। कर्तव्य पथ पर पहली बार, उप-निरीक्षक श्वेता सिंह की कमान में ‘बीएसएफ महिला ब्रास बैंड’ ने परेड में भाग लिया। सीमा सुरक्षा बल की महिला टुकड़ी में 144 ”महिला प्रहरी” शामिल थीं।