कोलकाता : खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की ओर से पाठ्यक्रम में शामिल विषय ‘हिंदी नाटक का उदभव और विकास’ पर वेब परिचर्चा एवं दिवंगत प्रसिद्ध नाट्यकर्मी उषा गांगुली की स्मृति में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक ‘अंधेर नगरी ‘का श्रुतिनाट्य मंचन किया गया। स्वागत भाषण देते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सुबीर कुमार दत्ता ने कहा कि कोरोना महामारी जैसे संकट के समय हमारे कॉलेज के हिंदी विभाग की ओर से आयोजित यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।उन्होंने व्याख्यान के लिए आमंत्रित वक्ताओं और हिंदी विभाग के सभी शिक्षकों, विद्यार्थियों और संगोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत औपचारिक तौर पर स्वागत किया। विभागाध्यक्ष डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि परिचर्चा के लिए हमने पाठ्यक्रम में शामिल विषय को चुना है ताकि कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीनस्थ सभी कॉलेजों के हिंदी विद्यार्थी लाभांवित हो सकें. ऐसे आयोजनों का एक उद्देश्य यह भी है कि विद्यार्थियों में साहित्यिक और सांस्कृतिक अभिरुचि का विकास हो।
विषय का प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा नाटक साहित्य की सबसे वैविध्यपूर्ण और प्रभावी विधा है। हिन्दी नाटक का उदभव और विकास’ विषय पर विचार रखते हुए भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी की शिक्षिका डॉ वसुंधरा मिश्र ने हिंदी नाटक के उदभव और विकास की लम्बी परम्परा के बीच नाटकों के स्वरूप, कथ्य और रचना प्रक्रिया आदि पर आए बदलावों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी नाटक ने साहित्य, कला और रंगमंच के बीच पुल का काम किया है।
इस अवसर पर सौरभ केशरी, साक्षी झा, प्रीति साव,बिंदी चौधरी,अंजलि पाठक, सिमरन जैसवारा ने उषा गांगुली की स्मृति में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक ‘अंधेर नगरी ‘का श्रुति नाट्य पाठ किया। प्रो किरण सिपानी ने कहा कि ऐसे आयोजन के लिए मैं हिंदी विभाग को धन्यवाद देती हूँ। प्रो संजय जायसवाल ने कहा कि विद्यार्थियों की यह उम्दा श्रुति नाट्य प्रस्तुति सही अर्थों में उषा गांगुली को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता है। रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि ऐसे आयोजन भावी पीढ़ी को तैयार करने का काम कर रहे हैं।मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज अन्य संस्थानों को दिशा निर्देश देने का काम कर रहरहा है।
उमा झुनझुनवाला ने इस अवसर पर उषा गांगुली की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि विद्यार्थियों ने अपने श्रुति पाठ से मुझे बांधे रखा। संगोष्ठी में प्रो. अरविंद मृधा, प्रो. तापसी घोष, डॉ विजया सिंह, डॉ रेणु गुप्ता, प्रो राकेश चौबे सहित काफी संख्या में विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो राहुल गौड़ और श्रुति नाटक का निर्देशन एवं संयोजन प्रो मधु सिंह ने किया।