खरीदने जा रहे हैं हेल्थ इन्श्योरेंस प्लान तो इन गलतियों से बचें

अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सही हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीदना आसान काम नहीं है। आज के समय में आप ऑनलाइन कुछ सेकेंड में हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीद सकते हैं। कई बार लोग प्‍लान की शर्तो को पढें बिना ही जल्‍द बाजी में हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीद लेते हैं। बाद में उनको इसका खा‍मियजा उठाना पड़ता है। आज हम आपको कुछ ऐसी कॉमन गलतियों के बारे में बता रहे जिनसे हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीदते समय बचना चाहिए।
पर्याप्‍त कवरेज न होना
आम तौर पर जब कोई भी हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीदने का फैसला करता है तो प्‍लान का प्रीमियम इसमें अहम भूमिका निभाता है। कई बार लोग प्रीमियम पर खर्च बचाने के लिए कम कवरेज का प्‍लान ले लेते हैं। जैसे किसी को 6 लाख रुपए कवरेज की जरूरत है लेकिन प्रीमियम ज्‍यादा होने की वजह से वह व्‍यक्ति 4 लाख रुपए कवरेज का प्‍लान ले लेता है। प्‍लान का प्रीमियम एक अहम फैक्‍टर है लेकिन सिर्फ प्रीमियम पर आने वाले खर्च के आधार पर ही प्‍लान का चुनाव नहीं करना चाहिए।
बीमा कम्पनियों के प्‍लान से तुलना न करना
आपको हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान के लिए किसी एक बीमा कम्पनी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। मान लिया आपने किसी बीमा कंपनी से हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान ले लिया है तब भी रिन्‍यूअल के समय आपके पास यह ऑप्‍शन है कि आप तमाम बीमा कंपनियों के प्‍लान और उसके बेनेफिट को कंपेयर कर सकते हैं अगर आपको लगता है कि आपको कोई दूसरी बीमा कंपनी ज्‍यादा बेनेफिट दे रही है तो आपको दूसरी बीमा कंपनी का प्‍लान लेना चाहिए।
मेडिकल हिस्‍ट्री की सही जानकारी न देना
बीमा कम्पनियां कई कारणों से आपका क्‍लेम रिजेक्‍ट कर सकती हैं। इसमे एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि आपने अपनी मेडिकल हिस्‍ट्री के बारे में कम्पनी को सही जानकारी नहीं दी है। हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीदते समय बीमा कम्पनी को प्री एग्जिस्टिंग डिजीज यानी जो बीमारी आपको पहले से है इसके बारे में सही जानकारी देना जरूरी है। इसके अलावा भी आपको अगर कोई मेडिकल प्राब्‍लम हो चुकी है तो आपको इसके बारे में बीमा कंपनी को बताना चाहिए।
कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन का फीचर है या नहीं
हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान लेते समय आपको यह जरूर चेक करना चाहिए कि आपके प्‍लान में कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा है या नहीं। कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन का मतलब है कि जरूरत पड़ने पर आप हॉस्पिटल में भर्ती हो सकते हैं और मेडिकल बिल का भुगतान बीमा कंपनी करेगी। कई बार लोग इस फीचर पर समझौता कर लेते हैं और सोचते हैं कि वे पैसा जुटा कर इलाज करा लेंगे और बाद में बीमा कंपनी इलाज पर आने वाले खर्च को रीइम्‍बर्स कर देगी।

(साभार – मनी भास्कर)

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