सहियो और प्रगतिशील विचारों वाली मुस्लिम महिलाओं ने खतना पर पाबंदी लगाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है। ये महिलाएं सहियो नामक एक संगठन से जुड़कर काम कर रही हैं। इस अभियान में उन्हें न सिर्फ महिलाओं का बल्कि पुरूषों का भी समर्थन मिल रहा है। पाबंदी के समर्थन के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है और हस्ताक्षर वाले इस पत्र को केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सौंपा जाएगा ताकि केंद्र सरकार कानूनी रूप से खतना पर रोक लगाए।
सहियो एक गुजराती शब्द है जिसका मतलब सहेलियों होता है। इस संगठन में मुस्लिम समाज की विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं मारिया ताहेर, आरेफा जौहरी, शाहिदा तवावाला किरतने, प्रिया गोस्वामी और इनसिया दरिवाला शामिल हैं जो दाऊदी बोहरा समुदाय की हैं। इन्होंने भी खतना की यातना को झेला है और अब अपने समुदाय की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं कि वे इस परंपरा को खत्म करने में सहयोग करें।
आरेफा के मुताबिक खतना को लेकर मुस्लिम समुदायों में अलग-अलग राय है। कोई समुदाय इसे इस्लाम से जोड़कर देखता है तो कोई इसे अवैज्ञानिक मान रहा है। भारत से बाहर दूसरे कई देशों में महिलाओं के जननांग काटने (खतना) पर पाबंदी लगाई गई है। भारत में भी बोहरा समुदाय की महिलाएं इस पर पाबंदी चाहती हैं। लेकिन वह खुलकर अपनी बात जाहिर नहीं कर पा रही हैं। बावजूद इसके कुछ पुरूष भी अपने घर में इस परपंरा के विरोध में हैं और वह भी चाहते हंै कि समुदाय के नेता इस मामले में आगे आएं और पाबंदी के पैरोकार बनें।
सहियो की ओर से 6 फरवरी से 8 मार्च तक ईच वन रीच वन अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत खतना के बारे में एक महिला या युवती दूसरी महिला या युवती को बताएंगी और दूसरी महिला तीसरी महिला को जानकारी देंगी। इस तरह से इस अभियान को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इस अभियान का मकसद यही है कि हर घर में महिला या पुरूष अपनी मर्जी से खतना के विवादास्पद परंपरा पर रोक लगाने में सहयोग करें।