शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस बार दशहरा 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस दिन को विजयदशमी भी कहते हैं। रावण बहुत ही ज्ञानी प्रकांड पंडित था। रावण ही इस समग्र संसार में ऐसा था, जिसमें त्रिकाल दर्शन की क्षमता थी। वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था। किंतु उसके अहं के कारण उसकी मृत्यु हुआ। भगवान राम ने रावण का वध करके रामराज्य की स्थापना की। जिसके उपलक्ष्य में दशहरा मनाते हैं, इस समय रावण दहन किया जाता है हर जगह रावण के पुतले में हमेशा दस सिर बनाए जाते हैं। इन्हीं दस सिरो के कारण ही उसे दशानन कहा जाता है। चलिए जानते हैं कि क्या सचमुच रावण दस सिरों वाला था।
रावण के दस सिर होने के बारे में विद्वानों का कहना है रावण बहुत शक्तिशाली होने के साथ मायावी भी था, जिसके कारण वह अपने दस सिर होने का भ्रम पैदा कर सकता था। इसलिए विद्वानों का मानना है कि रावण के दस सिर नहीं थे वे केवल मायावी भ्रम से बनाए गए दस सिर थे। कुछ विद्वानों के मतानुसार रावण छह दर्शन और चारों वेदो का ज्ञाता था, जिसके कारण उसे दसकंठी भी कहा जाता था। जिसके कारण उसे प्रचलन के अनुसार दशानन कहा जाने लगा। जैन शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि रावण अपने गले में दस मढियां धारण करता था। जिसमें उसके सिर के दस प्रतिबिंब बनते थे ,जिसके कारण किसी को भी दस सिर होने का भ्रम हो जाता था।
रावण के दस सिर होने का उल्लेख रामचरित्र मानस में मिलता है, जिसमें श्री राम क्रमशः एक-एक दिन रावण का सिर काटते जाते हैं। लेकिन राम जी अपने बाण से रावण के जिस सिर को काटते हैं उस जगह पुनः नया सिर आ जाता था। इस तरह से माना जा सकता है कि रावण के दस सिर असुरी माया के द्वारा बनाए गए थे।