कोविड -19 : सरकार से सहायता चाहता है खुदरा व्यवसाय क्षेत्र

नयी दिल्ली : कोरोना से हुए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर काफी बुरा असर पड़ा है। खासकर खुदरा व्ववसाय क्षेत्र में गतिविधियाँ ठप होने से काफी परेशानी हो रही है। स्थिति को देखते हुए खुदरा व्यवसाय के संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आर ए आई) ने केन्द्र सरकार से सहायता माँगी है। केन्द्र सरकार द्वारा कोविड -19 के परिप्रेक्ष्य में उठाये गये कदमों का स्वागत करते हुए आर ए आई अपनी कठिनाइयाँ बताते हुए कुछ माँगें केन्द्र सरकार के समक्ष रखी हैं।
आर ए आई के अनुसार देश में इस समय छोटे – बड़े 15 मिलियन खुदरा व्यवसायी हैं और इससे 40 -50 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। भारत के उपभोक्ता खपत में खुदरा क्षेत्र का 40 प्रतिशत अंश है। लॉकडाउन के कारण खाद्य तथा आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर देश भर में साड़ियाँ, कपड़े, इलेक्ट्रानिक्स, मोबाइल फोन, फर्नीचर, हार्डवेयक समेत कई क्षेत्रों की दुकानें बंद कर दी गयी हैं। किराने के अतिरिक्त फूड रिटेल को छोड़ दें तो इस क्षेत्र में 80 से 100 प्रतिशत की गिरावट आयी है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी 6 से 9 महीने तक खपत में 25 -30 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। खुदरा क्षेत्र में 60 -70 प्रतिशत कीमतें तय रहती हैं और कम मार्जिन रखकर ही व्यवसायी को काम करना पड़ रहा है और इसमें कर्मचारियों को वेतन देने में बड़ा अंश चला जाता है। कार्यकारी पूँजी का बड़ा निवेश इस क्षेत्र में है और इसमें से अधिकतर पूँजी उधार के रूप में निवेश की गयी है। 90 प्रतिशत खुदरा व्यवसाय कर्मी दुकानों में हैं जो न्यूनतम मजदूरी पर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन और खपत कम होने के कारण उनकी छंटनी होने की भी आशंका है। वितरक, निर्माता, कच्चा माल आपूर्ति करने वालों और पूरी वैल्यू चेन को ऑर्डर रद्द होने के कारण आय कम होने का अन्देशा है।
स्थिति को देखते हुए आर ए आई ने आरबीआई तथा बैंकिंग क्षेत्र के समक्ष कई माँगें रखी हैं।
उच्च इन्वेंट्री की स्थिति और माँग कम होने के कारण, जो लॉक-डाउन अवधि के बाद भी जारी रहेगा, उद्योग को जीवित रहने के लिए लंबे समय तक समर्थन की आवश्यकता होगी। बैंकों को 15 दिनों के लिए 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक प्रभावी ऋणों, अल्पकालिक ऋणों, कॉर्पोरेट ऋणों, प्रतिभूतियों के ऋण, बांड, बंधक, ऋण, सामान्य प्रयोजन ऋणों की किश्तों और ब्याज के भुगतान के लिए 270 दिनों की समय सीमा का विस्तार करने के लिए अनिवार्य होना चाहिए ।
31 दिसंबर 2020 तक कैश क्रेडिट लाइन्स के सभी ब्याज भुगतान के लिए 270 दिनों का अधिस्थगन हो।
गैर-निधि स्रोतों जैसे बिल में छूट, ऋण पत्र को अधिस्थगन में शामिल किया जाना चाहिए
बैंकों को बिना राजस्व के कारण होने वाली कमी को पूरा करने के लिए अनिवार्य रूप से 25% अतिरिक्त कार्यशील पूंजी क्रेडिट लाइनें प्रदान करनी चाहिए। कंपनियों के लिए अपने वेतन और समय पर मजदूरी का भुगतान करना महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त कार्यशील पूंजी क्रेडिट लाइनों को 31 दिसंबर 2020 तक उपलब्ध कराया जाए। 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2021 के बीच 3 किश्तों में अतिरिक्त कार्यशील पूंजी क्रेडिट लाइनों का भुगतान किया जाए।
आरबीआई को सेबी को क्यू आईपी ( QIP) के लिए शेयर मूल्य निर्धारण मानदंडों में ढील देने की सिफारिश करनी चाहिए और कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए तरजीही आवंटन करना चाहिए। अधिकारों के मुद्दे के लिए महत्वपूर्ण छूट भी आवश्यक है।
ब्याज सब्सिडी और डिफ़ॉल्ट राहत
खुदरा उद्योग के लिए सभी ऋणों पर ब्याज दरें 15 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 400 आधार बिंदु तक सब्सिडी / कम की जाएंगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुरोध है कि 31 मार्च 2021 तक एनपीए रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों को शिथिल करें।
सांविधिक भुगतान / खातों में छूट
31 जुलाई 2020 तक देय भुगतानों के लिए आयकर, अग्रिम कर, जीएसटी, ईएसआईसी, पीएफ आदि जैसे सभी वैधानिक बकाया जमा करने के लिए 90 दिनों की अवधि बढ़ाएं।
वर्ष 2019-20 के वित्तीय खातों के लिए अनिवार्य रिपोर्टिंग / सांविधिक फाइलिंग दिनों को 60 दिनों से 31 जुलाई 2020 तक बढ़ाएं।
रोजगार सहायता: खुदरा व्यापार में कोई नौकरी के नुकसान को कम करने के लिए उद्योग को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। इसके लिए संगठन ने अनुरोध किया है कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद विस्तारित लॉकडाउन और रिकवरी अवधि के दौरान खुदरा विक्रेताओं को कर्मचारियों के रोजगार को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नकद समर्थन के रूप में न्यूनतम मजदूरी के 50% पर 4 महीने (20 मार्च से 20 जून) की नौकरी सहायता सब्सिडी का अनुरोध करें।
संगठन को उम्मीद जतायी है कि भारत सरकार इस प्रतिनिधित्व में चिंताओं को पर्याप्त रूप से ध्यान में रखेगी ताकि कोरोना के प्रकोप के कारण संभावित प्रतिकूलताओं को दूर किया जा सके जिससे खुदरा उद्योग को अभूतपूर्व कठिनाई हो सकती है।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।