कोरोना महामारी से दुनिया का हर देश अपने-अपने तरीके से जूझ रहा है। ऐसे संकट के समय महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। कोरोना से जंग में ये महिलाएं असली हीरो की तरह काम कर रही हैं, जिनकी जमकर तारीफ हो रही है।
मेरिलिन एडो – कोरोना वायरस से फैली महामारी से दुनिया का पीछा तब तक पूरी तरह नहीं छूटेगा जब तक इसका टीका नहीं बन जाता। जर्मन सेंटर फॉर इन्फेक्शन रिसर्च की प्रोफेसर मेरिलिन एडो इस काम में जुटी हुई हैं। वे अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस से बचाने का टीका विकसित करने में लगी हैं। इससे पहले वे इबोला और मर्स के टीके भी विकसित कर चुकी हैं।
एंजेला मर्केल – कोरोना के चलते जर्मनी की कम मृत्यु दर दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस के लिए चांसलर मैर्केल की रणनीति की चारों तरफ तारीफ हो रही है। मैर्केल ने शुरुआती दौर में ही चेतावनी दे दी थी कि देश की 60 %आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है। औपचारिक रूप से उन्होंने “लॉकडाउन” शब्द का उपयोग भी नहीं किया।
त्साई इंग वेन – चीन के करीब होते हुए भी ताइवान ने खुद को कोरोना से बचा लिया। वहां कोरोना संक्रमण के 400 से भी कम मामले सामने आए, जबकि जानकारों का मानना था कि ताइवान सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक हो सकता था। वेन की सरकार ने वक्त रहते चीन, हांगकांग और मकाऊ से आने वालों पर ट्रैवल बैन कर दिया था।
जेसिंडा आर्डर्न – 14 मार्च को न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने घोषणा की कि देश में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को दो हफ्तों के लिए सेल्फ आइसोलेट करना होगा। उस वक्त देश में कोरोना के महज छह मामले सामने आए थे। आँकड़ा 100 के पार जाते ही उन्होंने देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी।
मेट फ्रेडेरिक्सन – डेनमार्क की अब तक की सबसे कम उम्र की इस प्रधानमंत्री ने मार्च माह की शुरुआत से ही कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए थे। 14 मार्च तक देश की सीमाओं को सील भी कर दिया गया था। डेनमार्क में अब तक कोरोना संक्रमण के 5,800 मामले ही सामने आए हैं।