दुनिया भर में जब भी महामारी ने अपनी दस्तक दी है,और लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया है,तब मनुष्य और मजबूत होकर उभरा हैl यानी जहां एक और महामारी ने लोगों को तबाह कर दिया वहीं दूसरी ओर लोगों को बेहतर तरीके से जीवन जीने के लिए आगे बढ़ाएं हैं। कोरोना वायरस एक अभिशाप होते हुए भी यह एक वरदान के रूप में भी सामने आया हैl एक और समाज में बदलाव देखने को मिला है वही अर्थव्यवस्था को भी नए तरीके से आगे बढ़ने का रास्ता मिला हैl नई खोज के लिए लोगों ने प्रयास किए हैं, और उन्हें सफलता भी मिली है l कार्य करने के नए- नए तरीके विकसित हुए हैंl
कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में अब कंपनियां अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करवा रही है। यह कंपनियों के सोच में एक बड़ा बदलाव है क्योंकि पहले कंपनियां मानती थी कि कर्मचारी घर से काम नहीं कर सकते ।जबकि आज कर्मचारी घर से सुव्यवस्थित तरीके से काम कर रहे हैं ।वही पहले जिन सेक्टर में घर से काम करने का विकल्प नहीं होता था,वहां भी वर्क फ्रॉम होम के लिए दरवाजे खुल गए है,और ऐसी संभावना बढ़ गई है कि कोरोना के बाद भी कंपनियां इस विकल्प को अपना सकती है ।जिससे कि वह अपने ऑफिस के खर्च को कम कर सकेंगे।कर्मचारियों को अच्छा लैपटॉप, हाई स्पीड इंटरनेट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा देकर कंपनियां काम को और सस्ता और सुलभ बना सकती है ।एक और परिवर्तन देखने को मिला मिल सकता है कि अब वर्क फ्रॉम होम हो जाने से लैंगिक समानता को बढ़ावा मिल सकता है । बिना शॉपिंग मॉल गए भी लोग घर बैठे ही अपनी पसंद की चीजें आसानी से ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए खरीद सकेंगे ।इनका प्रचलन काफी तेजी से बढ़ जाएगा ।इंटरनेट पर ऑनलाइन चीजों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों की संख्या भी बढ़ जाएगी ।
डिजिटल इवेंट्स को बढ़ावा मिलेगा।फिजिकल रूप से उपस्थित ना होते हुए भी लोग एवं इवेंट्स का आनंद ले सकेंगे ।इंटरनेट पर इस्तेमाल बढ़ जाएगा। डेटा का उपयोग बढ़ जाएगा लोग इवेंट्स में भी ऑनलाइन ही हिस्सा लेंगे। कोरोना वायरस महामारी एक सकारात्मक पक्ष लेकर आई है।लॉकडाउन हो जाने की वजह से दूसरे देशों पर निर्भरता घटेगी।कोरोना के कारण चीन से आने वाले सभी तरह के कच्चे माल की आवाजाही बंद हो जाने से देश के कई मैन्युफैक्चरिंग पाटस के बंद करना पड़ गया है ।अब कंपनियां स्वदेशी तकनीक पर ध्यान देगी, और इसके लिए जरूरी कच्चे माल के लिए बाहर के देशों पर निर्भरता को कम करेंगे ।इससे देश में उत्पादन बढ़ेगा।
लॉकडॉन की वजह से डिजिटल लेन -देन में हुई तेजी, बैंक डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रहे हैं,इसके कारण डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ गया है ।कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए आरबीआई के गवर्नर ने ग्राहकों से कहा कि जितना मुमकिन हो उतना डिजिटल बैंकिंग सुविधा का इस्तेमाल करें ।सरकार ने भी इसको बढ़ावा देने के लिए कई प्लेटफार्म को इस कार्य के लिए मंजूरी दी है ।एक तरफ से देखा जाए तो डिजिटल भारत का सपना भी हमारा पूरा हो रहा है।
स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी अधिक जोर दिया गया है । कोरोना के कारण देश के अस्पतालों में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने का गंभीर प्रयास हुआ है ।यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा ।पब्लिक हेल्थ सिस्टम में सुधार आया।बड़े शहरों से निकलकर छोटे शहरों और कस्बों समेत ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर होगी।
शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है ।दुनियाभर के देशों में स्कूल और विश्वविद्यालयों में इस बात पर जोर दिया जा रहा है,कि अब पढ़ाई के तरीके में बदलाव लाया जाए। लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन या वर्चुअल कक्षाओं का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है । ऐसे में भविष्य में छात्रों को वर्चुअल कक्षाओं या ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए ही पढ़ने की आदत डालना पढ़ सकती है।
दूरदर्शन भारत का सरकारी चैनल है ।जिसे लोग प्राय भूल ही गए थे परंतु लॉकडाउन के वजह से “दूरदर्शन”पर ‘रामायण’, ‘महाभारत’ आदि कार्यक्रम पुन प्रसारित किया गया था जिसे लोग काफी ही पसंद कर रहे थे। इसका उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम को दिखाना नहीं बल्कि पूर्व लोक- संस्कृति ,लोकपरंपरा आदि को नई पीढ़ी से अवगत कराना है। इसका लाभ ‘दूरदर्शन’ को मिला।
लॉकडाउन की वजह से जहां देशवासियों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।वहीं कुछ फायदे भी हुए हैं जैसे -वायु प्रदूषण के स्तर में काफी गिरावट भी आई है। पश्चिम बंगाल की यदि बात करें,तो जनवरी महीने में कोलकाता में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक था ।वायु प्रदूषण में कोलकाता ने नयी दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया था और खतरनाक स्तर पर आ गया था ।’लॉकडाउन’ की वजह से सड़कें सुनसान हो गयीं, गाड़ियों और फैक्ट्रियॉ बंद हो गई । ऐसा केवल कोलकाता में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी हुआ ।पर्यावरण में वायु शुद्ध हो गई ।वायु प्रदूषण के लिए बदनाम रहने वाले राज्य में तेजी से हालत सुधरी है ।शहरों में पक्षी की चह-चाहट सुनाई देने लगी।
आज की दुनिया में जहां छोटी-छोटी बातों को लेकर इंसान दूसरे इंसान का दुश्मन बनता जा रहा है,उसी समय में कुछ लोग धर्म ,जाति ,संप्रदाय आदि भूल कर एक दूसरे की मदद के लिए अग्रसर हो रहे हैं ।समाज में बहुत अधिक बदलाव देखने को मिला है ।लोगों में कम्युनिटी फीलिंग भर गई है। गरीबों के प्रति लोगों में सहानुभूति बढ़ गई है।साथ ही साथ वैश्विक मानवता और सहचरी का परिचय मिल रहा है ।धैर्य की शक्ति का परीक्षण भी हो रहा है।
इस दुनिया के कुछ छोटे से कोने में रहने वाले कई लोगों के दिल में जानवरों के लिए जो मोहब्बत है, वह वाकई प्रशंसनीय और प्रेरणादाई है ।पूरे देश में पिछले 1 महीने में कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन ने इंसानों से कहीं दयनीय स्थिति जानवरों की हो गई है,क्योंकि इंसान तो फिर भी बोलकर,रोकर या चिल्लाकर अपनी पीड़ा बयां कर सकता है, लेकिन यह मासूम बेजुबान पशु -पक्षी अपनी पीड़ा कहे भी तो किसे?उन्हें तो फिलहाल सुनने वाला भी कोई इंसान नहीं है, अधिकतर लोग अपने घरों के अंदर बैठे हैं ।ऐसी स्थिति में कुछ लोग इंसानियत का फर्ज निभाते हुए इन बेजुबानो की सेवा का फर्ज निभाते हुए बेजुबान की सेवा के लिए आगे आए हैं ।जिनसे हर किसी को सीख लेनी चाहिए ।
मैने खुद नयी-नयी सी रेसिपी सीखी।साथ ही साथ किचन की गतिविधियों में अपने को शामिल किया। हमने साथ मिलकर कई फूलों के पौधे लगाए। कुछ नई किताब पढी और बहुत कुछ नया लिखा भी ।इस भागती -दौड़ती जिंदगी में लॉकडाउन के रूप में जो समय मिला, इस समय हम उन रिश्तेदारों से भी बात की जिनसे जल्दी बात नहीं हो पाती है अर्थात रिश्तेदारो से भी बातें नहीं हो पाती है अर्थात रिश्ते सवारने का एक सुनहला अवसर और इसमें हम छोटी-छोटी बातों में खुश होना सीखा । कोरोना जैसे आपदा से लड़ना सीखा और मिलजुल कर रहना भी सिखाया ।बाहर की नकारात्मक और व्यस्त जीवन में से दूर परिवार के साथ स्वयं खुश रहने और एक-दूसरे को खुश रखने का प्रयास।