जीवन है तो परेशानी है, मन की उलझनें हैं और जरूरी होता है कि कोई हमारे मन की बात को समझे, हमें सुनें और समाधान बताये। मनोचिकित्सक पीहू पापिया सुलझाएंगी आपके मन की उलझनें। तो आप अपनी समस्या हमें भेज दें ..और हम करेंगे इन पर बात पीहू के साथ
लत या आदतें चाहे बुरी हो या अच्छी, एक दिन में तो बनती नहीं है। लगातार प्रयोग और अभ्यास के कारण आदतें बनती हैं। अच्छी लत तो यकीनन जीवन को संतुलित करती है और कामयाबी की ऊँचाइयों पर पहुंचाती है, वहीं बुरी आदतें दीमक की तरह जीवन को खोखला कर देती हैं। इसलिए जितनी जल्दी सजग होकर इन बुरी लतों से छुटकारा पाने की कोशिश की जाये, उतना ही श्रयस्कर होता है।
हमेशा से ही हमने शराब, बीड़ी और सिगरट आदि को बुरी लतों की सूची में शीर्ष पर रखा है। पर कोरोना काल ने कुछ नयी लतों को भी जन्म दिया है जिससे अब तक हम कुछ हद तक बचे हुए थे। मोबाइल क्रांति ने जहां पुरी दुनिया और ज्ञान दोनों को मुट्ठी में ला दिया है, वहीं पास की चीज़ों से कोसो दूर भी करने का काम किया है।
कोरोना के आशीर्वाद से दो साल घर की चाहरदीवारी में रहकर अधिकतर बच्चे, जवान, बुढ़े सभी मोबाइल, टीवी और गेमिंग के लतों का शिकार हो गयें हैं। बच्चे अब पढ़ाई के बाहर भी घंटों मोबाइल में घुसे रहते हैं। दुलार से या डाँट कर समझाने पर भी कोई असर नहीं होता। टीवी सीरियल के तो एक्सपर्ट बनते जा रहे हैं। और, गेमिंग ने तो दिमाग ही खराब कर रखा है, जो जुनून-सा बन गया है। यह सच बात है कि यह चीज़ें बुरी नहीं है, यह आज की दुनिया के आविष्कार और कुछ तो उपयोगी वस्तुएं हैं, परन्तु इनके अत्यधिक प्रयोग के कारण इनकी लत पड़ जाने के कारण बुरी चीज़ की संज्ञा दी जाने लगी है।
जैसे कोई भी लत या आदत डाली जा सकती है, तो बदली भी जा सकती है, जिसे कम्प्यूटर की भाषा में कहें तो इंस्टॉल और अनइंस्टॉल। बात हमारे मस्तिष्क से जुड़ी हुई है। जिस प्रकार रोग तो एक होता है पर हम उसका इलाज कई तरह से, यानि एलोपेथी, होमियोपेथी, आयुर्वेद आदि, से करते हैं, उसी प्रकार इन लतों से भी हम अपने ब्रेन पावर, वर्ड पावर, थोट पावर आदि से छुटकारा पा सकते हैं।
इस संबंध में “मिशन रख होसला” द्वारा कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। माइंड पावर का इस्तेमाल कर कुछ अनोखे तरीकों के माध्यम से अपनी लतों से छुटकारा पाने के लिए कार्यशाला में हिस्सा लें।
(पीहू पापिया शुभ सृजन नेटवर्क और शुभजिता के मेंटर ग्रुप की सदस्य हैं)