दस साल पहले पति की मदद के लिए की थी फिशिंग की शुरुआत
भारत के पारंपरिक फिशिंग समुदाय में महिलाएं मछुआरन के तौर पर कम ही देखी जाती हैं। आमतौर पर वे घर में ही रहती हैं और अपने पति के समुद्र किनारे से लौटने का इंतजार करती हैं। वहीं केरल के थ्रिशूर जिले के चवक्कड़ गांव की रहने वाली रेखा भारत की पहली फिशर वुमन हैं। उन्हें भारत सरकार की ओर से इंटरनेशनल बॉर्डर पर समुद्र की गहराईयों में जाकर मछली पकड़ने का लाइसेंस प्राप्त है।
रेखा ने इस काम की शुरुआत दस साल पहले की थी। रेखा के पति कार्तिकेयन समुद्र में मछली पकड़ने जाते थे। एक बार समुद्र में उनकी मदद करने वाली दोनों मछुआरे यह काम छोड़कर चले गए। आर्थिक तंगी के चलते कार्तिकेयन के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे अपनी मदद के लिए किसी को रख सकें। जब ये बात उसने अपने घर में रेखा को बताई तो वह खुद पति की मदद के लिए तैयार हो गई।
रेखा ने कभी तैराकी नहीं की थी। यहां तक कि इससे पहले उन्हें समुद्र के किनारे