केदारनाथ सिंह को याद करते हुए

 निशांत
 पहली बार
कहाँ देखा था केदारनाथ सिंह को
कोलकाता के ठनठनियों काली मंदिर के पास
एक गोरा-गारा ठिगना आदमी
चला जा रहा था दो-चार लोगों के साथ
“यही केदारनाथ सिंह हैं।
हिंदी के सबसे बड़े कवि।”
मित्र प्रकाश ने कहा था
“नहीं, एशिया के सबसे बड़े कवि।”
पत्रकार कृपाशंकर चौबे ने कहा था
हम
अभिभूत थे
क़िताबों से निकलकर
एक सच्ची-मुच्ची आदमी खड़ा था
हमारे बीच
थोड़ा सा छूकर
देखना चाहते थे उन्हें हम
चाहते थे
हो जाए एक फ़ोटो
उनके साथ
बड़े होने के बाद
एक बार बचपन फिर आ गया था हमारे अंदर
तुम्हारे कारण
धन्यवाद,केदारनाथ सिंह!
धन्यवाद!

शुभजिता

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