बालासोर । बालासोर के रेमुना ब्लॉक स्थित सरकारी कुष्ठ रोग उपचार केंद्र में 4 साल तक इलाज कराने वाले 63 साल के दासा मरांडी अब इस बीमारी को हरा चुके हैं । उनके परिवार ने चर्म रोग होने के बाद उन्हें त्याग दिया था । कुछ ऐसी ही स्थिति 65 साल की पद्मावती की थी । उन्हें भी 10 वर्ष तक उपचार के दौरान अस्पताल में अकेले छोड़ दिया गया था । उनके पति की मौत हो गयी थी और परिवार के अन्य सदस्यों ने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया ।
दासा मरांडी और पद्मावती जब कुष्ठ रोग से उबरे तो इसके बावजूद उनके परिवारों ने उन्हें अपनाया नहीं. अपने हाल पर छोड़ दिया । बालासोर के एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन परीदा ने कहा, ”रूढ़िवादी ग्रामीण समाज में एक वक्त में कलंक मानी जाने वाली इस बीमारी को लेकर अब भी लोगों की मानसिकता बदली नहीं है ।” अपने सगे-संबंधियों द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद दासा और पद्मावती ने बाकी की जिंदगी एक साथ गुजारने का फैसला किया है ।
दासा मरांडी ने बताया कि उनकी इच्छा के अनुसार कुष्ठ रोगी उपचार केंद्र के अन्य रोगियों और कर्मियों ने हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार उनकी शादी करायी । उन्होंने कहा, ”हम कई वर्षों से करीब थे. पहले मैंने उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया और वह मान गयीं.” वे उपचार केंद्र के नजदीक बने एक पुनर्वास केंद्र में रहेंगे।
बालासोर के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी और अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी ने नवविवाहित बुजुर्ग दंपति के साथ ही कुष्ठ रोग उपचार केंद्र के कर्मचारियों तथा अन्य रोगियों को बधाई दी जिन्होंने शुक्रवार को एक मंदिर में विवाह समारोह की व्यवस्था की । उपचार केंद्र की एक कर्मचारी दुर्गा मणि उपाध्याय ने बताया कि शादी का सारा खर्च केंद्र के कर्मचारियों ने वहन किया । बालासोर के अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने कहा, ”दोनों पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं और वह दूसरे लोगों की तरह खुशहाल और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।”