झालावाड़ : लहसुन की पैदावार होते ही उसे कम दामों में बेचने की बजाय अब 4 माह तक आसानी से संग्रहित किया जा सकता है। इसके लिए उद्यान विभाग में भंडारण संरचना के लिए योजना आई है। ओनियन रिसर्च इंस्टिट्यूट नागपुर ने लहसुन भंडारण की संरचना का डिजाइन बनाया है। इस डिजाइन को झालावाड़ में भी प्रयोग किया जा रहा है। कई किसान अब भंडारण सरंचना बनवाने के लिए कतार में लग गए हैं। हालांकि सरकार से दस किसानों के लिए ही सब्सिडी आने से बड़ी संख्या में किसानों को निराशा हाथ लगती है, फिर भी लहसुन किसानों के लिए यह काफी बेहतर साबित हो रहा है। लहसुन भंडारण संरचना बांस की बनती है। 12 फीट चौड़ाई और 45 फीट लंबाई की इस संरचना में ऊपर टिनशेड लगाते हैं, जबकि नीचे पूरा स्ट्रक्चर बांस का बनाया जाता है।
आसपास लोहे के एंगल लगाए जाते हैं, ताकि यह मजबूती से टिका रह सके। स्ट्रक्चर के अंदर की तरफ बांस की रैक बनाई जाती है, जिसमें लहसुन रखा जाता है। इन रैकों में हर तरफ से लहसुन को हवा लगती रहती है। इससे लहसुन खराब नहीं हो पाता है। करीब 4 माह तक यह आसानी से सुरक्षित रहता है।
इस दौरान बाजार में रेट बढ़ने पर किसान इस भंडारण स्कीम से बेहतर फायदा उठा सकते हैं। लहसुन भंडारण की लागत करीब 1 लाख 75 हजार रुपये आती है। यदि सरकार से सब्सिडी स्कीम में किसान का चयन होता है तो उसे 87 हजार 500 रुपए की सब्सिडी मिल जाती है। ऐसे में यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है।
संभाग में सबसे अधिक लहसुन की पैदावार झालावाड़ जिले में ही होती है इसलिए लहसुन भंडारण स्ट्रक्चर बनवाने की डिमांड भी यहां सबसे ज्यादा है। लहसुन की पैदावार अधिक होने के चलते कई बार बाजार में इसके दाम इतने कम हो जाते हैं कि लागत भी नहीं निकल पाती है। ऐसे में यहां पर किसानों को आत्महत्या करने तक की नौबत आ जाती है।
अब भंडारण बनने से लहसुन का स्टोरेज लंबे समय तक हो पाएगा। ऐसे में बाजार दर बढ़ते ही किसानों को बेहतर फायदा मिल सकेगा। इस साल लहसुन 30 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्र में हुआ। यहां इस साल लहसुन का 1 लाख 58 हजार 600 एमटी उत्पादन हुआ है।
लहसुन भंडारण संरचना के लिए जिले में काफी कम लक्ष्य आए हैं। इससे यह किसानों की पहुंच से दूर है। इस साल केवल 10 किसानों के लिए ही लक्ष्य आया है। इसमें 5 सामान्य और 5 एससी एसटी को ही सब्सिडी मिलना है। ऐसे में उद्यान विभाग के पास बड़ी संख्या में किसान कतारों में खड़े हुए हैं।