कार इंसान की मूल जरुरतों में शामिल हो गई है। कोई इंसान अगर पहले अपना घर ले लेता है तो उसका अगला ख्वाहिश कार ही होती है। अगर, आप नई कार खरीदने के लिए बैंक से ऋण लेने की योजना बना रहे हैं तो कुछ अहम बातों का ख्याल जरूर रखें। सिर्फ ब्याज दरों को देखते हुए ऋण लेने का फैसला लेना सहीं नहीं होगा। हम आपको बता रहे हैं कि ऑटो लोन के चयन के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए –
सबसे पहले अलग – अलग फाइनेंसर्स से पता करा लें कि आपको कितना ऋण मिल सकता है।
इसके बाद यह जरूर पता कर लें कि कार की कीमत का कितने फीसदी ऋण मिल सकता है। इसमें कोशिश करें कि कुल कीमत का कम से कम 20 फीसदी अपनी जेब से दें।
अब यह देखें कि 80 प्रतिशत या उससे अधिक का जो ऋण किया जाएगा, यह कार की एक्स शोरूम कीमत पर किया जाएगा या ऑन रोड कीमत पर।
अलग अलग बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें, जिस बैंक से आप लेनदेन करते हैं और आपके और उस बैंक के मौजूदा संबंध हैं तो वह आपको सबसे बेहतर दर पर लोन दे सकता है।
ब्याज दर के अलावा, अन्य फीस की तुलना करें, जैसे प्रोसेसिंग फीस, फोरक्लोझर चार्ज, पार्ट-प्रीपेमेंट फीस इत्यादि।
कुछ लोग समय से पहले ही ऋण बंद करा देते हैं, तो ऐसी स्थिति के लिए ऐसे बैंक का चुनाव करें जो कम प्रीपेमेंट चार्ज और फाइलक्लोजर चार्ज लेता हो।
ऋण 1 साल से 7 साल तक के लिए ही ठीक होता है। अगर इससे ज्यादा के साथ जाएंगे तो ईएमआई तो कम आएगी लेकिन कुल ब्याज ज्यादा चुकाना पड़ेगा।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपकी कुल मासिक ईएमआई आपकी कुल कमाई के 35 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
समय पर ऋण का पूरा भुगतान करने के बाद बैंक एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देता है। जो तीन महीने के लिए मान्य होता है। इसकी एक कॉपी इंश्योरेंश कंपनी में जमा कराकर इंशयोरेंस में से बैंक का नाम हटवा दें। इसके अलावा एक कॉपी RTO ऑफिस में जमा कराकर गाड़ी की नई आरसी केवल अपने नाम से बनवा लें।