पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित कामदुनी गैंगरेप और हत्या मामले में कोलकाता की एक अदालत ने तीन अभियुक्तों को फांसी की सज़ा सुनाई है। इस मामले के तीन अन्य अभियुक्तों को उम्र क़ैद की सज़ा दी गई है। इससे पहले अदालत ने गुरुवार को इन छह अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संचिता सरकार ने सज़ा पर दो दिनों तक हुई बहस और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शनिवार को खचाखच भरी अदालत में यह फ़ैसला सुनाया. इस मामले में सबूतों के अभाव में दो अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था। सरकारी वकील अनिंद्य रंजन ने कहा, “अदालत ने हमारी दलीलें स्वीकार करते हुए इसे दुर्लभतम मामला मानकर दोषियों को सर्वोच्च सज़ा सुनाई है. इससे हम संतुष्ट हैं।” उत्तरी 24-परगना ज़िले के बारासात में 7 जून 2013 को कॉलेज से घर लौट रही 21 साल की छात्रा का नौ लोगों ने अपहरण कर लिया था. उसे एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी थी। अगले दिन एक खेत से छात्रा का शव बरामद किया गया था।
घटना के बाद अगले दिन से ही कामदुनी के लोगों ने न्याय व दोषियों को कड़ी सज़ा दिए जाने की मांग में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। इसके लिए कामदुनी प्रतिवादी मंच नामक एक संगठन भी बनाया गया था। मामले में नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। उनमें से एक की बीते साल मौत हो गई थी। अदालत ने अंसार अली, शेख़ अमीन अली और सैफ़ुल अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सज़ा सुनाई है जबकि अमीनुर इस्लाम, शोख़ इनामुल और भोलानाथ को आजीवन कारावास की सज़ा दी है। बचाव पक्ष ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है। कुछ दिन पहले अदालत के अभियुक्तों को दोषी करार दिए जाने के बाद से ही विभिन्न मानवाधिकार और महिला संगठन उनको फांसी देने की मांग करते हुए अदालत के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। शनिवार को भी अदालत के बाहर भारी तादाद में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इस घटना के ख़िलाफ़ विरोध का चेहरा बनी टुम्पा कयाल ने कहा, “हम अदालत के फैसले से ख़ुश हैं. लेकिन बाकी दोनों अभियुक्तों को भी फ़ांसी मिलनी चाहिए थी।