जिन मुद्दों पर बड़े-बड़े महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के क्लासरूम में आज बहस छिड़ती है, उन्हीं मुद्दों को आज से न जाने कितने दशक पहले ही निराला ने समाज के सामने रख दिया था। पर आज की युवा पीढ़ी में विरले ही रह गए हैं, जिन्होंने निराला को पढ़ा है। इन्हीं विरलों में शामिल है एक हरप्रीत सिंह, जो अपने संगीत के माध्यम से निराला और उनके जैसे कवियों से आज के लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हरप्रीत इन कवियों की कविताओं को खुद संगीतबद्ध करते हैं और फिर उन्हें गाते भी हैं। हरप्रीत हिंदी की इन बेहतरीन कविताओं के लिए आज वही कर रहें हैं जो कभी जगजीत सिंह ने उर्दू शायरी के लिए किया था।
साल 2015 में आई दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘तितली’ का प्रमोशनल गाना ‘कुत्ते’ में अपनी आवाज देने वाले हरप्रीत की ज़िन्दगी भी संघर्षों में बीती है। कम उम्र में ही अपने पिता को खोना और उसके बाद आय का कोई स्थिर साधन नहीं था, हरप्रीत ने बहुत सी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना किया लेकिन उन्हें सफलता मिली निराला की प्रसिद्द कविता ‘बादल राग’ के दम पर। गायिकी का जूनून रखने वाले हरप्रीत बताते हैं,“मैंने कभी भी इन कविताओं को नहीं पढ़ा था, यहां तक कि स्कूल में भी नहीं। मेरी एक दोस्त चाहती थी कि मैं सावन के बारे में कुछ लिखूं और गाऊं। जब मैं कुछ सोच नहीं पाया तो उसने मुझे कुछ कविताएँ पढ़ने के लिए दी। निराला की ‘बादल राग’ उनमें से एक थी। जब मैंने इसे पढ़ा, तो मुझे लगा जैसे किसी ने भी इस सुंदर मौसम पर इससे बेहतर कुछ भी नहीं लिखा है। मैंने पूरा दिन बस यही कविता पढ़ी। आखिरकार, जब मैंने अपना गिटार उठाया, तो अपने आप संगीत बन गया।”बस यहीं से शुरू हुआ, ऐसे कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने का सिलसिला।
(साभार – द बेटर इंडिया से संशोधित अंश)