कोलकाता – भारतीय भाषा परिषद के सभाकक्ष में नगर की सुपरिचित संस्था साहित्यिकी द्वारा आयोजित संगोष्ठी में साहित्यिकी पत्रिका के नये अंक “साझा करते हुए’ का लोकार्पण श्रीमती सरोजिनी शाह ने किया। सुषमा त्रिपाठी के काव्यसंग्रह ‘अब वह आसमान तोड़ रही है’ और मीना चतुर्वेदी के काव्यसंग्रह ‘स्नेह स्मृति’ पर आयोजित इस परिचर्चा में श्रीमती रेणु गौरीसरिया ने सावन पर कविता पढ़कर अतिथियों का स्वागत किया। सुषमा त्रिपाठी और मीना चतुर्वेदी ने न केवल अपने अनुभवों को श्रोताओं से साझा किया बल्कि अपनी चुनिंदा कविताओं का भावपूर्ण पाठ भी किया। सुषमा त्रिपाठी के काव्यसंग्रह का विश्लेषण करते हुए इतु सिंह ने कहा सुषमा एक संवेदनशील और संभावनाशील कवयित्री हैं। उनकी आरंभिक कविताओं में अभिव्यक्ति की तीव्रता के साथ कच्चापन भी है। क्रमशः वह वृहद समाज से संवाद करती हैं। अपनी संवेदनाओं को संतुलित कर सुषमा अपने सृजन को परिपक्व बना सकती हैं। उनकी कविताओं में उम्मीद और आस्था का स्वर मुखरित होता है जहां वह खुद की रोशनी में खुद को देखती हैं । कवि का तटस्थ होना भी जरूरी है तभी वह स्वयं से पर तक की यात्रा करने में सफल होता है।
मीना जी की कविताओं पर अपनी बात रखते हुए वाणी श्री बाजोरिया ने कहा कि मीना जी की कविताओं में व्यक्ति परकता तो है ही पर सामाजिक समस्याएं भी उनकी निगाह से ओझल नहीं हुई हैं।। उनकी कविताओं में प्रिय के प्रति अनूठा समर्पण है। अपने सैनिक पति को याद करते हुए वह देशभक्ति की सुंदर बानगी पेश करती हैं। वहां दर्द तो है पर हताशा बिल्कुल नहीं है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में किरण सिपानी ने दोनों कवयित्रियों को बधाई देते हुए कहा कि दोनों कवयित्रियां दो पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करती हैं और निसंदेह उनकी कविताओं से समाज को एक दिशा मिलेगी। इन कविताओं में स्त्री मन की पीड़ा के साथ उनका आक्रोश भी मुखरित हुआ है। मानसी चतुर्वेदी ने भी अपनी सास को बधाई देते हुए अपनी बात रखी। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती विद्या भंडारी और धन्यवाद ज्ञापन गीता दूबे ने किया।