कोलकाता : भवानीपुर एडुकेशन सोसायटी कॉलेज के सोसायटी हॉल में फाउन्टेन कलम के इतिहास पर शोध पुस्तक “राधिका नाथ साहा आनसंग हीरो ऑफ इंडियन पेन” के लेखक डॉ शोभन राय ने इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है । प्रो. दिलीप शाह ने पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा कि कलम से हमारी और दुनिया की विभिन्न भावनाएँ और विचार जुड़े हैं। हमारे पूर्वजों की लेखनी मोर पंख, बांस की पतली टहनी आदि से बनाई गई लेकिन समय के साथ आज कलम यूज एंड थ्रो तक आकर सहज हो गया है। तकनीकी विकास के साथ ही विभिन्न आविष्कार हुए। इस अनकही और अनजानी कहानी को विद्यार्थियों को जानना चाहिए। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व गृह सचिव आईएएस अधिकारी प्रसाद रंजन राय ने कहा कि उनके समय फाउन्टेन कलम से ही लिखा जाता था लेकिन अब कभी कभी विशेष रूप से कुछ लिखने का कार्य होता है तो लिखता हूँ। प्रचलन में नहीं होने के कारण फाउन्टेन कलम इतिहास का विषय हो गया है, डॉ शोभन राय बधाई के पात्र हैं।
भारतीय इतिहास के भुला दिये गये नायकों शुमार फाउन्टेन कलम की पहली इंडस्ट्रीज की स्थापना करने में राधिका नाथ साहा (1870-1933) का महत्वपूर्ण योगदान रहा यह बात डॉ शोभन राय ने अपने वक्तव्य में लोकार्पण के पश्चात कही। अपने शोध कार्य के दौरान किस प्रकार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक डॉ. राय को फाउन्टेन कलम के इतिहास पर अचानक पुस्तक और राधिका नाथ साहा के पौत्र से मिलने का संजोग हुआ और वहीं से प्रेरित होकर उन्होंने इस शोधकार्य को करने का निश्चय किया। राधिका नाथ साहा की पुस्तक “रोमांस ऑफ पेन” में उनके द्वारा किए गए अमेरिकन, जर्मनी आदि देशों से पेटेंट का सच भी सामने आया। 1910 में फाउन्टेन कलम की अनकही कहानी सामने आई जिसका श्रेय राधिका नाथ साहा को जाता है, जिसके प्रमाणपत्र हैं। कलम पर आर. एन. साहा अंकित एक कलम उन्होंने महात्मा गांधी और उनके सचिव महादेव जी को भी दिए थे आदि बातों का खुलासा पुस्तक में दिया गया है। पेन की निब में भी समय-समय पर परिवर्तन होता गया, कभी स्टाइलों और पारंपरिक नीब में भी बदलाव आ गया। पहले के लक्खी पेन और विभिन्न पारंपरिक पेन के विषय में डॉ शोभन राय ने अपने स्लाइड और चित्रों के जरिए पावर प्रेजेन्टेशन दिया। दर्शना, मारिया खान, रिद्धि सराफ ( श्री शिक्षायतन कॉलेज) आदि छात्राओं ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। वरिष्ठ पत्रकार श्री सुब्रत गांगुली ने कहा कि उनके पास सात हजार फाउन्टेन पेन एकत्रित किए हैं जिनकी प्रदर्शनी एक कार्यक्रम में की गई थी। लोकार्पण के इस अवसर पर डॉ. वसुंधरा मिश्र ने “कलम तुम विवेक और ज्ञान की मशाल हो” कविता पाठ किया। प्रो. मीनाक्षी चतुर्वेदी, डॉ वसुंधरा मिश्र, आईएएस अधिकारी प्रसाद रंजन राय, सुब्रत गांगुली, देवष्मिता चटर्जी और बीए बीकॉम के विद्यार्थियों की उपस्थिति रही ।
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