वाराणसी : इतिहास और साहित्य को आम जनता तक पहुँचाने का रास्ता कला से होकर गुजरता है। जब ये काम युवा करें तो उम्मीद और बढ़ जाती है। संगीत के माध्यम से यही काम कुछ युवा कर रहे हैं और अपना बैंड बनाकर वे कबीर, गोरख औऱ रैदास जैसे कवियों को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। मशहूर नृत्यांगना वाराणसी की प्रशस्ति तिवारी से जानिए उनके इस सुरीले सफर के बारे में –
शुरुआत – शुरुआत पिछले साल हुई, बैण्ड के दो शुरुआती सदस्य कबीर के भोजपुरी गीतों पर काम कर रहे थे, उसी समय बुद्ध से कबीर तक संस्था के एक कार्यक्रम में कबीर संगीत गाने को मंच मिला, तबसे लगातार यह बैण्ड पूरे तरीके से इस कबीर, गोरख, रैदास के गीत व सूफी गीतों को गा रहा है।
बैण्ड में मुख्य रूप से चार सदस्य हैं- ऋषभ पाण्डेयऔर आदर्श आदी, (मुख्य गायक), जगदम्बा राज जायसवाल (गिटारिस्ट) और आदित्य राजन (कीबोर्ड)।
मुश्किलें- अपने उद्देश्य में किसी तरह की मुश्किलें नहीं हैं, जो भी थोड़ी मुश्किलें हैं वो व्यक्तिगत रूप से हैं, बैण्ड का हर सदस्य या तो अध्ययनरत है या अपने किसी व्यवसाय में है, ऐसे में अभ्यास के लिए पर्याप्त समय दे पाने में थोड़ी कठिनाई होती है।
उपलब्धि– सबसे बड़ी उपलब्धि दर्शकों और श्रोताओं की स्वीकार्यता है, युवा जहाँ भी अपनी प्रस्तुतियां देते हैं वहां उपस्थित सारे लोग आनन्द लेकर उनके गीतों को सुनते हैं, और ज्यादातर कबीर, गोरख के विचारों और सूफ़ियत को समझ पाते हैं, तो मनोरंजन के साथ हमारा उद्देश्य भी उन तक आसानी से पहुँच जाता है।
लक्ष्य- बुद्ध से कबीर तक बैण्ड का लक्ष्य समाज में संगीत के माध्यम से सामाजिक सौहार्द और प्रेम की भावना का प्रसार करना है, हमारे गीतों में शांति, एकता और मोहब्बत का भाव निहित होता है, ऐसे में उन भावों को गीत संगीत के रूप में किसी के सामने रखने पर वे आसानी से स्वीकृत हो जाते हैं, और यही इस बैण्ड का प्राथमिक लक्ष्य है।