वरिष्ठ साहित्यकार कपिल आर्य हमारे बीच नहीं रहे । प्रो. गीता दूबे उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपनी स्मृतियाँ साझा कर रही हैं । शुभजिता की ओर से दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि..
कथाकार -संस्मरण लेखक और संगठन कर्ता कपिल आर्य को सादर नमन। वह साहित्य जगत को सूना करके चले गए लेकिन अपने पीछे किस्से- कहानियों और संस्मरणों का असीम खजाना छोड़ गये हैं। प्रगतिशील लेखक संघ की जिम्मेदारी लंबे समय तक उन्होंने सहर्ष संभाल रखी थी। संगोष्ठियों का आयोजन प्रसन्नता से करते थे और नये लेखकों और लोगों को संगठन से जोड़ने में लगे रहते थे।
कोलकाता की प्रलेस इकाई की गतिविधियों और इतिहास के दस्तावेजीकरण के लिए भी उन्होंने प्रयास किया था। कथाकार विनय बिहारी सिंह ने एक पुस्तिका ( प्रगतिशील आंदोलन की बंगीय भूमिका) लिख कर इस इतिहास को समेटने की कोशिश की थी।
वर्षों पहले बांग्ला अकादमी के सभाकक्ष में “कथाकार की पहली कहानी” पर उन्होंने एक संगोष्ठी का आयोजन किया था जो अपने ढंग का अद्भुत आयोजन था। उनके कुछ संस्मरण और कहानियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। एक कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है। बेहद जीवंत और ऊर्जावान व्यक्ति थे। गाहे-बगाहे फोन करते थे तब उनकी उत्साह से भरी आवाज़ की खनक आश्वस्त करती थी। इन दिनों अपने संस्मरणों को शब्दबद्ध कर रहे थे और उनके प्रकाशन की चर्चा बड़े उत्साह से करते थे। कोलकाता के साहित्य जगत को उनकी कमी खलेगी।